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एकात्म मानववाद का शैक्षणिक सन्देश

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

प.दीनदयाल उपाध्याय ने भारतीय चिंतन के अनुरूप एकात्म मानववाद का विचार दिया था। इसमें समाज व राष्ट्र जीवन के विविध पहलू समाहित थे। यह भारत की शाश्वत अवधारणा है। इसलिए यह आज भी प्रासंगिक है। इसमें शिक्षा का भी समावेश है।

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने इसका उल्लेख किया। वह प.दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के दीक्षांत समारोह को राजभवन से आनलाइन संबोधित कर रही थी।

उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय का नाम एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी से जुड़ा हुआ है। पंडित जी उच्च कोटि के राजनेता ओर दार्शनिक एवं विचारक थे, जिन्होंने इस बात पर बल दिया कि देश की आर्थिक,शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिज्ञ व्यवस्था भारतीय संस्कृति की बुनियाद पर ही निर्धारित और नियोजित होनी चाहिए।

आचरण में अंत्योदय

राज्यपाल ने छात्र छात्राओं को दीनदयाल जी के अंत्योदय विचार के अनुरूप भी प्रेरणा दी। कहा कि विद्यार्थी प्रतिज्ञा करें कि नये जीवन के आरम्भ के साथ ही समाज के उन लोगों का भी ध्यान रखेंगे, जिनके जीवन में विकास की किरण आज तक नहीं पहुंच पायी है। वस्तुतः यही अंत्योदय का विचार है। इस अमल से ही सुशासन व सामाजिक समरसता की स्थापना हो सकती है।

कौशल विकास

आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्व के तेजी से बदलते दौर में आत्मनिर्भरता का महत्व बढ़ गया है। स्वदेशी के क्षे़त्र में रचनात्मक कार्य की बहुत संभावनाएं हैं। इस दृष्टि से हमारे विश्वविद्यालय केवल शोध और डिग्री बांटने का ही कार्य न करें, बल्कि कौशल विकास पर भी ध्यान दें।

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