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उत्तराखंड की जैव विविधता पर सबसे ज्यादा खतरा, केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

दुर्लभ वन्यजीवों का संसार समेटे हुए हिमालय पर जलवायु का खतरा मंडरा रहा है। बदलती आबोहवा में जीव-जंतुओं के वास स्थल सिमट रहे हैं।नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट में ये चिंताजनक तथ्य सामने आया है।

एनसीआरबी (NCRB) ने 2021 में देश भर के राज्यों में हुए अपराधों की रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार सात अलग अलग कैटेगरी के बीच उत्तराखंड में पर्यावरण संबंधी विभिन्न अधिनियमों में 912 मामले दर्ज किए गए।

पर्यावरण और परिस्थितिकी तंत्र की एक अहम कड़ी धारीदार लकड़बग्घा समय के साथ विलुप्त हो रहा है। उत्तराखंड में इनकी उपस्थिति नाममात्र की रह गई है। वन विभाग की अनुसंधान शाखा इन दिनों से पर शोध कर रही है।

यहां निवास करने वाले वन्य जीवों की कई प्रजातियां संकट में हैं। जलवायु परिवर्तन के कार कई प्रजातियों के प्राकृतिक वास स्थल सीमित हो रहे हैं।इन सभी एक्ट में दर्ज अलग- अलग मामलों की संख्या के आधार पर ओवरआल पर्यावरणीय अपराध आंके जाते हैं।

हिमालयन मस्क डियर यानी कस्तूरी मृग उत्तराखंड का राज्य वन्य पशु है। इसका वैज्ञानिक नाम मास्कस क्राइसोगौ हैइसके बाद हिमाचल 163 विभिन्न अपराध के साथ दूसरे नंबर पर है। 85 मामलों के साथ जम्मू कश्मीर हिमालयी राज्यों में तीसरे नंबर पर है।

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