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कांग्रेस हुई मजबूत,10 साल पहले भी अशोक गहलोत कर चुके हैं ये कारनामा…

बसपा के विधायकों के कांग्रेस में शमिल होने का लगभग दस साल पुराना इतिहास फिर दोहराया गया है। राजस्थान में बहुजन समाजवादी पार्टी के सभी छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। इसे नगर निकाय व पंचायत चुनावों से पहले राज्य की अशोक गहलोत सरकार के लिए बड़ी राजनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले 2009 में भी अशोक गहलोत के पहले कार्यकाल के दौरान बसपा के सभी छह विधायक कांग्रेस के पाले में चले गए थे। तत्कालीन कांग्रेस सरकार स्पष्ट बहुमत के जादुई आंकड़े से पांच कम थी और यह कमी बसपा के विधायकों के शामिल होने से पूरी हो गयी थी।

बसपा के छह विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सोमवार देर रात एक पत्र सौंपा। विधायकों ने बिना शर्त कांग्रेस में शामिल होने की बात कही है। राज्य में बसपा के छह विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा (उदयपुर वाटी), जोगेंद्र सिंह अवाना (नदबई), वाजिब अली (नगर), लाखन सिंह (करौली), संदीप कुमार (तिजारा) और दीपचंद खेरिया (किशनगढ़ बास) है।

विधानसभा अध्यक्ष ने देर रात पीटीआई भाषा से कहा कि ”बसपा विधायकों ने उनसे मुलाकात की और एक पत्र उन्हें सौंपा है।” कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि बसपा के सभी छह विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लगातार संपर्क में थे और आज वे कांग्रेस के पाले में आ गए हैं। इस बारे में बसपा के विधायकों से बात नहीं हो पाई। उनके अनुसार बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के कदम से अशोक गहलोत सरकार संख्या बल के आधार पर और अधिक मजबूत होगी। 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 100 विधायक हैं और उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के पास एक विधायक है और इस तरह सरकार बहुमत में है। इस विलय के बाद संख्या बल के हिसाब से राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 106 विधायक, भाजपा के 72, माकपा, आरएलपी व बीटीपी के दो दो विधायक हैं। इसके अलावा 13 विधायक निर्दलीय हैं, दो सीट खाली हैं।

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