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मोदी की बाग्लादेश यात्रा का महत्व

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा का व्यापक महत्व है। इसके पहले नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के लिए गए थे। यहां नरेंद्र मोदी ने भेदभाव पर आधारित तृणमूल कॉंग्रेस सरकार के कार्यों को निंदनीय बताया था। उनका कहना था कि सरकारों को सबका साथ सबका विकास की भावना से ही दायित्व निर्वाह करना चाहिए।

इसी विचार के अनुरूप भारत ने अबतक करीब इकहत्तर देशों को कोरोना वैक्सीन की डोज दी हैं। बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान का जन्म शातब्दी वर्ष भी है। इस खास अवसर को बांग्लादेश मुजीब बोरसो के रूप में मना रहा है। इसी के साथ बांग्लादेश की आजादी की पचासवीं वर्षगांठ है। नरेंद्र मोदी इसमें शामिल होंगे। यह संयोग है पश्चिम चुनाव प्रक्रिया के दौरान नरेंद्र मोदी बांग्लादेश यात्रा पर गए।

प्रथम चरण के मतदान की पूर्व संध्या पर बांग्लादेश में उनके कार्यक्रमों की शुरुआत हुई। मतदान के दिन भी वह बांग्लादेश में कई कार्यक्रमों में सहभागी होंगे। नरेंद्र मोदी के विरोधी इन कार्यक्रमों में चुनावी कनेक्शन तलाश रहे है। वैसे यह कोई पहला अवसर नहीं है। नरेंद्र मोदी की अनेक पूर्व निर्धारित यात्राओं पर इसी प्रकार की नुक्ताचीनी होती रही है। वस्तुतः यह उनके विरोधियों में आत्मविश्वास की कमी को ही उजागर करता है। ममता बनर्जी एक दशक से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री है। जाहिर है कि चुनाव उनके कार्यों व उपलब्धियों के आधार पर होंगे। किसी भी सत्तारूढ़ पार्टी में ऐसा आत्मविश्वास होना चाहिए। लेकिन यह तभी संभव है जब सरकार ने अपने दायित्वों का बेहतर निर्वाह किया हो। अन्यथा सामान्य प्रकरण भी आशंकित करते है। तृणमूल कॉंग्रेस की यही परेशानी है।

उनकी सरकार सबको साथ लेकर चलने व प्रदेश का समग्र विकास करने में विफल रही है। इसलिए नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा भी उसे परेशान कर जाती है। यह सही है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव चल रहे है। पहले चरण का मतदान जब चल रहा होगा तब मोदी बांग्लादेश की धरती पर मतवा संप्रदाय के पवित्र स्थान ठाकुरबाड़ी और हिंदू मंदिर जो सुरेश्वरी के दर्शन कर रहे होंगे। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में वनवासी समुदायों के साथ बैठ कर भोजन किया था। किंतु ऐसा नहीं है कि बांग्लादेश यात्रा का नरेंद्र मोदी ने जल्दीबाजी में कोई कार्यक्रम बनाया है। यह पूर्व निर्धारित था।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के निमंत्रण पर नरेंद्र मोदी बांग्लादेश पहुंचे। उनको यह आमंत्रण मुक्ति संग्राम के स्वर्ण जयंती बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के जन्मशती कार्यक्रम में सम्मलित होने के लिए दिया गया था। शेख हसीना भारत के योगदान को भूल नहीं सकती। यदि उनकी जगह खालिदा जिया या अन्य कोई सत्ता में होता तब शायद भारत को इतने सम्मान के साथ बुलाया नहीं जाता। नरेंद्र मोदी को इस ऐतिहासिक समारोहों में बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया है। बांग्लादेश में कई दिन से उनकी यात्रा को लेकर उत्साह था। वहां के अखबारों ने नरेंद्र मोदी के लेख प्रकाशित किये गए। बांग्लादेश की आजादी के साथ ही दोनों देशों के राजनयिक संबंधों पचासवीं वर्षगांठ है। नरेंद्र मोदी बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के पचास साल पूरे होने के कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे है। नरेंद्र मोदी और शेख हसीना के बीच महत्वपूर्ण वार्ता होगी।

जिसमें दोनों देशों के बीच साझा प्रयासों को आगे बढ़ने पर विचार होगा। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है। नरेंद्र मोदी पिछले साल बंगबंधु शेख मुजीब उर रहमान के जन्म शताब्दी समारोह में शामिल होने वाले थे। लेकिन कोरोनो वायरस महामारी के कारण उनकी यात्रा रद्द हो गई थी। इस दौरे में नरेंद्र पहली बार ढाका के बाहर कार्यक्रमों में सम्मलित हुए। वह ढांका से सवा चार सौ किमी तुंगिपारा स्थित बंगबंधु श्राइन में मुजीब उर रहमान के स्मारक पर गए। वह ओरचंडी भी जा रहे है। हरिचंद ठाकुर को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम भी महत्वपूर्ण है। हरिचंद ठाकुर मतुआ संप्रदाय के संस्थापक थे।

वह सतखीरा के प्रसिद्ध जशोरेश्वरी काली मंदिर भी गए। नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि वह कोविड महामारी के बाद पहली विदेश यात्रा पर किसी पड़ोसी देश में गए। बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस व बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्मशती समारोह में सहभागिता दोनों देशों के सुदृढ़ संबंधों को प्रकट करने वाले है। दोनों के बीच होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में सैन्य सहयोग पर खास तौर पर चर्चा हुई। इसके अलावा कनेक्टिविटी परियोजनाओं व ऊर्जा सहयोग के कुछ प्रस्तावों पर हस्ताक्षर महत्वपूर्ण है।

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