एक तरफ चीन जहां अपनी घटती आबादी और बुजुर्गों की बढ़ती संख्या से परेशान है तो वहीं उसके पड़ोसी देश में साउथ कोरिया में भी इसी तरह की एक समस्या सरकार को परेशान किए हुए है. दरअसल, यहां अकेले रहने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. यहां अकेले रहने से मतलब शादी न करने वालों से है.
क्योंकि वहां लोग शादी नहीं कर रहे हैं तो इसका असर जनसंख्या पर भी पड़ रहा है और साउथ कोरिया यानी दक्षिण कोरिया की आबादी लगातार घट रही है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने कुछ दिन पहले ही भविष्यवाणी की है कि 2050 में साउथ कोरिया में अकेले रहने वाले लोगों का प्रतिशत वर्ष 2000 से दोगुने से अधिक होगा. यह घरेलू मेकअप में बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है जो दुनिया में सबसे कम प्रजनन दर में योगदान देता है.
वर्ष 2021 में इस देश में किसी भी अन्य प्रकार के बहु-व्यक्ति परिवार की तुलना में एकल-व्यक्ति परिवार (7.2 मिलियन, या तीन में से एक) अधिक थे. सांख्यिकी कोरिया के अनुसार, अकेले रहने वालों का #अनुपात, जो वर्ष 2000 में 15.5 प्रतिशत तक था, वह सदी के मध्य तक लगभग 40 प्रतिशत तक उछल जाएगा. आंकड़े बताते हैं कि परिवार बदल रहे हैं क्योंकि कोरियाई तेजी से विकसित हो रहे देश में, सामाजिक सम्मेलनों और आर्थिक वास्तविकताओं को समायोजित करते हैं.
हालांकि इसी मामले में दक्षिण कोरिया के आंकड़ों की तुलना अगर जापान से करेंगे तो यह अभी भी जापान या जर्मनी से बहुत कम है, दक्षिण कोरिया में अभी जितने एकल-व्यक्ति घरों के हिस्सा हैं वो लगभग यूनाइटेड किंगडम के बराबर है, लेकिन जिस तरह से यहां यह आकंड़ा बढ़ रहा है उसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है.
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इस संबंध में एक सर्वे में कई अहम जानकारियां सामने आईं. मसलन करीब आधे अविवाहितों ने पैसे की कमी और नौकरी की सुरक्षा न होने की वजह से शादी न करने की बात बताई. जबकि 12 प्रतिशत ने कहा कि वे बच्चों को पालने में बोझ महसूस करते हैं, इसलिए वह सिंगल हैं. 25 प्रतिशत लोगों ने दावा किया कि उन्हें सही मैच नहीं मिला है या उन्हें शादी करने की जल्दी नहीं है.