लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ के अन्तर्गत आज ‘द ग्लोबल गवर्नेन्स वी नीड’ थीम पर आधारित प्लेनरी पैनल डिस्कशन में प्रतिभाग करते हुए मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि नागरिकों के अधिकार व भलाई सभी देशों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने सभी राष्ट्र प्रमुखों का आह्वान किया कि विश्व मानवता की भलाई एवं वैश्विक मुद्दों के समाधान हेतु एक साझा मंच पर एकजुट हों।
लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ अभिषेक कुमार साइंटिस्ट ऑफ द ईयर अवॉर्ड से सम्मानित
श्री सिंह ने विश्व पटल पर भारत के बढ़ते प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा कि हमने अपने संविधान की भावनाओं के अनुरूप सभी सहयोगी देशों के साथ सदैव सकारात्मक भूमिका निभाई है तथापि वैश्विक मुद्दों पर अब हम बड़ी जिम्मेदारी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। सम्मेलन की प्रशंसा करते हुए श्री सिंह कहा कि यह सम्मेलन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योकि यह दुनिया के सभी लोगों के हित के लिए है। पैनल डिस्कशन में हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति कैटालिना नोवाक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया एवं हंगरी की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में दुनिया भर में लैंगिक असमानता को दूर करने जोरदार वकालत की।
लेसोथो के प्रधानमंत्री डा पाकलिथा बी मोसिसिली ने कहा कि यह सम्मेलन इसके संस्थापक डॉ जगदीश गांधी को एक सच्ची श्रद्धांजलि है। हम उनकी स्मृति के लिए यह सुनिश्चित करने के लिए तत्पर हैं कि यह सम्मेलन महज बातचीत बनकर न रह जाए बल्कि दुनिया में बदलाव लाने का केंद्र बिंदु बने। इसी प्रकार, गुयाना सुप्रीम कोर्ट की जज न्यायमूर्ति प्रिशिला चंद्रा हनीफ ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए संयक्त राष्ट्र चार्टर में सुधारों का आह्वान किया। पैनल डिस्कशन का संचालन अमेरिका से पधारे अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्री एवं वर्ल्ड बैंक के पूर्व निदेशक डॉ ऑगस्टो लोपेज़-क्लारोस ने किया।
विदित हो कि ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ 22 से 24 नवम्बर तक सीएमएस कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित किया जा रहा है। ‘भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51’ पर आधारित यह ऐतिहासिक सम्मेलन विश्व एकता, विश्व शान्ति एवं विश्व के ढाई अरब से अधिक बच्चों के सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य को समर्पित है। इस वर्ष यह ऐतिहासिक सम्मेलन ‘ए गवर्नेन्स फॉर द फ्यूचर’ थीम पर आधारित है। इससे पहले, हैती के पूर्व प्रधानमंत्री जीन-हेनरी सेन्ट ने अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के दूसरे दिन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर आयोजित परिचर्चा में 55 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों एवं अन्य प्रख्यात हस्तियों ने जोरदार शब्दों में एक स्वर से कहा कि भावी पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य का अधिकार अवश्य मिलेगा। न्यायविदों व कानूनविदों ने इस दिशा में सीएमएस द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की एवं विश्व के ढाई अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य हेतु सीएमएस के 63000 छात्रों की अपील का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक सम्मेलन एक नवीन विश्व व्यवस्था की स्थापना में महती भूमिका निभायेगा।
आज अपरान्हः सत्र में एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों का निचोड़ पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए सम्मेलन की संयोजिका एवं सीएमएस प्रबन्धक प्रो गीता गांधी किंगडन ने बताया कि लगभग सभी मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाशीशों व कानूनविदों की आम राय रही कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(सी) विश्व की समस्याओं का एक मात्र समाधान है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(सी) पूरे विश्व को एकता के सूत्र में जोड़ने की बात कहता है। प्रो किंगडन ने बताया कि सभी मुख्य न्यायाधीशों ने इस बात को माना कि बच्चों के भविष्य की सुरक्षा आज की सर्वाधिक आवश्यकता है। उन्होने विश्व सरकार व वैश्विक कानून बनाने की सीएमएस छात्रों की मांग का समर्थन किया।
लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ अभिषेक कुमार साइंटिस्ट ऑफ द ईयर अवॉर्ड से सम्मानित
सीएमएस के हेड, कम्युनिकेशन्स ऋषि खन्ना ने बताया कि दिन भर की परिचर्चा के उपरान्त देश-विदेश से पधारे सभी सम्मानित अतिथि सायं 6.30 बजे मुख्यमंत्री आवास पर जायेंगे, जहां इन अतिथियों के सम्मान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा रात्रिभोज का आयोजन किया गया है।