भारत से चुराकर विदेश में करोड़ों में बेच दिए गए पुरावशेष (मूर्तियों) को वापस लाने की दिशा में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने पहल की है. जल्दी ही एएसआइ ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी में उपस्थित तीन भारतीय मूर्तियों को वापस लेकर आएगी. इन मूर्तियों में दो तमिलनाडु के वीरांगल्लूर से चुराई गई थीं, जो दो द्वारपालों की मूर्तियां हैं. एक राजस्थान से चुराई गई नागराज की मूर्ति है.
एएसआइ अधिकारियों के अनुसार तीनों मूर्तियों को हिंदुस्तान लाने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है. एएसआइ के अनुसार तीनों मूर्तियों को 18 दिसंबर तक लाया जाना था, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से 25 दिसंबर तक इन्हें लाया जा सकता है. बताते चलें कि जनवरी में ऑस्ट्रेलियाई पीएम का हिंदुस्तान दौरा प्रस्तावित है.
7वीं से 10वीं शताब्दी के बीच की हैं मूर्तियां
द्वारपालों की मूर्तियां पत्थर की हैं व 9वीं-10वीं शताब्दी की हैं. इन्हें तमिलनाडु के वीरांगल्लूर से 1995 में चोरी कर लिया गया था. इसके अतिरिक्त तीसरी मूर्ति नागराज की है जो राजस्थान या मध्यप्रदेश से चोरी की बताई जा रही है. यह मूर्ति 7वीं से आठवीं शताब्दी की है.
इसे वर्ष 2006 में ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी ने न्यूयॉर्क से खरीदा था. इस मूर्ति के बारे में कोई एफआइआर दर्ज नहीं है. इसके चलते यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसे इन दोनों राज्यों में से किस प्रदेश के किस मंदिर से कब चोरी किया गया था. हालांकि इसके निर्माण शैली से माना जा रहा है कि इसे राजस्थान या मध्य प्रदेश के किसी मंदिर से चोरी किया गया था.
इससे पहले पांच वर्ष में आ चुकी हैं 32 मूर्तियां
2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार बनने के बाद से पिछले पांच वर्ष में 32 मूर्तियां विदेश से वापस आई हैं. कुछ राष्ट्रों ने विदेशों के भारतीय दूतावास के अधिकारियों को बुलाकर मूर्तियां सौंपी हैं. जो मूर्तियां वापस आई हैं, उनमें मध्य प्रदेश से चोरी हुई पैरेट लेडी, जम्मू और कश्मीर से दुर्गा महिषासुर मर्दिनी, तमिलनाडु से चोरी हुईं उमा परमेश्वरी, गणेश की प्रतिमा, श्री देवी, पार्वती, भूदेवी आदि की मूर्तियां शामिल हैं.