इन दिनों भागदौड़ वाली दिनचर्या के कारण हमारे भोजन करने की शैली प्रभावित होने लगी है. जल्दी-जल्दी भोजन करना, भोजन का समय निश्चित नहीं होना, स्वाद के लिए मिर्च मसालों से युक्त भोजन और जाने अनजाने में मिलावटी अनाज का दिन रोजाना इस्तेमाल बढ़ना. इससे शरीर की पाचन क्रिया भी प्रभावित होती है. यह समस्या एसिडिटी होती है. आयुर्वेद के ग्रंथों में इसे अम्लपित्त के रोग के नाम से जानते हैं. यद्यपि चरक संहिता में इसका उल्लेख संक्षेप में प्राप्त होता है इसका विस्तृत वर्णन काश्यप संहिता में किया गया है.आइए जानते हैं इसके घरेलू उपचार के बारे में ( Acidity Treatment In Hindi ) :-
लक्षणों को देखें ( Acidity Symptoms In Hindi )
खट्टी-कड़वी डकारें आना, पेट में भारीपन, छाती तथा गले में जलन, बिना कोई कार्य किए थकावट होना, सिर दर्द होना, भोजन का न पचना, पेट में गुड़गुड़ाहट जैसी आवाज आना जैसे लक्षण एसिडिटी की ओर संकेत करता है.
किससे होता है यह ( Acidity Causes )
नया अन्न, तिल, उड़द और कुलथी की दाल, ऑयल से बनी चीजें, कांजी, खट्टी और तीखी वस्तुएं, देरी से पचने वाला भोजन, शराब पीना, उल्टी आने पर जबरदस्ती रोकने से यह रोग होता है. भोजन तुरंत बाद सोना, भोजन के बीच में पानी पीना और बासी भोजन से भी इस रोग की उत्पत्ति होती है.
ये करें ( Acidity Precautions )
– एसिडिटी से बचने के लिए दही-टमाटर के इस्तेमाल से बचें.
– कब्ज की शिकायत न होने दें. चरक संहिता अनुसार कुलथी की दाल के इस्तेमाल से एसिडिटी होती है. इसे न खाएं.
– नमकीन चीजोंं को ज्यादा न खाएं. एक साल तक नए चावल न खाएं, पेट में जलन पैदा हो सकती है.
इनको अपनाएं ( Acidity Treatment At Home )
– पिप्पली चूर्ण को शहद के साथ लेने से एसिडिटी नहीं होती.
– जम्बीरी स्वरस शाम के समय लिया जा सकता है.
– हरड़, बहेड़ा, आमला व मुलेठी का काढ़ा बनाकर ठंडा होने पर शहद के साथ ले सकते हैं.
– हरड़, पिप्पली, धनिया के चूर्ण को मुन्नका और शहद के साथ लेने से अम्लपित्त का नाश होता है.
– शतावरी चूर्ण, गिलोय चूर्ण और मुलेठी चूर्ण अम्ल में हितकर है.