पहलग्राम आतंकी हमले (Pahalgam Terrorist Attack) पर कवियत्री डॉ गीता पांडेय ‘अपराजिता’ (Poetess Dr Geeta Pandey ‘Aparajita’) की विशेष प्रस्तुति (Special Presentation)
धरा स्वर्ग काश्मीर की,धवल किरीट स्वदेश।
दहशतगर्दों ने किया, रक्तिम है परिवेश।।
रावलपिंडी ने रची,साजिश ऐसे वक्त।
घाटी में बहने लगा, निर्दोषों का रक्त।।
पहलगाम हमला हुआ, मचती चीख पुकार।
दिखा भयावह दृश्य था, गोली की बौछार।।
नकली वर्दी धारकर, आतंकी मदहोश।
बने निशाना पर्यटक, फैल गया आक्रोश।।
सत्ताइस की मौत से, दहल गया कश्मीर।
दर्जन भर से हैं अधिक, झेल रहे अति पीर।।
धर्म पूॅछकर हिंदुओं, को ही डाला भून।
पुत्र किसी का है मरा, माॅग किसी की सून।।
भगदड़ ऐसी मच गई, मिला न कोई कोर।
एक टीम तब श्रीनगर, पहुॅची लेकर जोर।।
दहल गया है बैसरन, मानव हुआ अधीर।
सर्च ऑपरेशन शुरू, किए सुरक्षा वीर।
हुआ कलंकित देश है, भड़कावे की आग।
बदला लो हर बूॅद का, हिंदू जाओ जाग।।
दागदार वर्दी किए, छद्म वेश धर देह।
कैसे अब पहचान हो, जिसको इससे नेह।।
मानवता है रो पड़ी, देख भयावह दृश्य।
दारिंदें कर चल दिए, हृदय विदारक कृत्य।।
सभी देश निंदा करें, कर्ण खोल सुन पाक।
सबके मन आहत हुए, होगा तू अब खाक।।
बहकावे में कर रहे, निंदनीय हर काम।
आका सुन लें पाक के, भुक्तेंगे परिणाम।।
कभी नहीं संवेदना, पूरा करे हिसाब।
निकृष्ट कर्म न फिर करें, ऐसा मिले जवाब।।
कुटिल चाल यह पाक की, देख टूटता सब्र।
नहीं छोड़ना धूर्त को, दफनाना है कब्र।।
सरहद पर चीत्कार है, जागो पहरेदार।
ले करके संकल्प अब, करो वार पर वार।।
साजिश कर्ता को सजा, दो मोदी सरकार।
जन-जन की अभ्यर्थना, सुन लो करुण पुकार।।
शासक सारे ध्यान दो, नहीं देर मंजूर।
शीश काट गद्दार का, कर दो चकनाचूर।।
हुआ धर्म का खून है, दहक उठी उर आग।
घाटी में कैसे घुसे, ये जहरीले नाग।।
माफी के काबिल नहीं, ले लो उनकी जान।
किसी एक का यह नहीं, भारत का अपमान।।
