राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ मसूद अहमद ने कहा कि केन्द्र सरकार के वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया गया बजट किसानों, मजदूरों और मध्यम वर्गीय लोगों के लिए निराशाजनक है। केन्द्र सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट भी देश किसानों के लिए मृग मरीचिका या लाॅलीपाप के अतिरिक्त कुछ नहीं है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने का आष्वासन विगत 6 वर्ष में दिये गये आष्वासनों की ही तरह है क्योंकि आय के श्रोतों का उल्लेख निराशाजनक है।
20 लाख किसानों को सोलर पम्प पलाण्ट दिये जाने की घोषणा केवल गिने चुने किसानों के लिए है जबकि लघु और सीमान्त किसानों की संख्या लगभग 80 प्रतिषत है।
डाॅ अहमद ने कहा कि पीपीपी माडल के तहत दूध, मांस, मछली आदि के व्यापार के लिए रेल चलाने की घोषणा करना इस बात का सूचक है कि यह रेलगाडी भी पंूजीपतियों द्वारा चलाई जायेगी जिसका सीधा लाभ किसानों को न मिलकर पूंजीपतियों को मिलेगा। वर्ष 2020-21 के लिए 15 लाख करोड़ कृषि लोन देने की घोषणा भी कार्पोरेट घरानों तक ही सिमट तक ही रह जायेगी क्योंकि बैंको द्वारा लोन की शर्ते पूरी करना 80 प्रतिषत किसानों के लिए सम्भव नहीं है।
पानी की कमी से जूझ रहे 100 जिलों के लिए व्यापक उपाय किये जाने का प्रस्ताव कागजी ही रहेगा क्योंकि केन्द्र सरकार के विगत कार्यकाल के परिप्रेक्ष्य में यह कपोल कल्पित ही रहेगा। तटवर्ती इलाकों के लिए सागर मित्र बनाने का प्रस्ताव भी किसान मित्रों की तरह अंधे की रेवणी बांटना जैसा होगा।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि रोजगार के नाम पर इस बजट में भी देश के युवाओं को ठगा गया है क्योंकि सरकार की तरफ से नौकरियां देने की घोषणा न होकर केवल प्राइवेट सेक्टर पर ही आधारित रखा गया है जबकि देश का युवा विगत 6 वर्षो से 2 करोड नौकरियां प्रतिवर्ष पाने की सम्भावनाओं में समय व्यतीत कर रहा है। कुल मिलाकर यह बजट भी निराशाजनक है। गरीब की थाली सस्ती होने के स्थान पर मंहगी ही रहेगी।