जन्माष्टमी का त्यौहार श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जन्माष्टमी का पर्व 12 अगस्त को मनाया जाएगा। कुछ स्थानों पर कान्हा के जन्मदिन को 11 अगस्त को मनाया जा रहा है, लेकिन अधिकतर स्थानों पर इस पर्व को 12 अगस्त के दिन ही मनाया जा रहा है।
मथुरा नगरी में असुरराज कंस के कारागृह में देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को पैदा हुए। उनके जन्म के समय अर्धरात्रि थी, चन्द्रमा उदय हो रहा था और उस समय रोहिणी नक्षत्र भी था। इसलिए इस दिन को प्रतिवर्ष कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए इसे कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है इस दिन श्री कृष्ण को प्रिय सामग्री समर्पित करने से श्री कृष्ण का विशेष आशीर्वाद मिलता है। श्रीकृष्ण की आराधना करने वालों के सब क्लेश दूर हो जाते हैं। दुख-दरिद्रता से उद्धार होता है। जिन परिवारों में कलह-क्लेश के कारण अशांति का वातावरण हो, उस घर के लोगो को इस मंत्र का अधिक से अधिक जप करना चाहिए।
श्रीकृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥
इस मंत्र का रोजाना जप करते हुए श्रीकृष्ण की आराधना करें। इससे परिवार में खुशियां वापस लौट आएंगी।