राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल विश्वविद्यालयों के कार्यों और कार्य पद्धति में सकरात्मक विस्तार के लिए सदैव प्रेरित करती हैं. इसमें विद्यार्थियों की भागीदारी बढ़ाने आंगनबाड़ी केंद्रों को सहयोग,गांवों में जागरूकता,क्षय रोग पीड़ित बच्चों को गोद लेने के विषय भी शामिल है. यह सभी प्रयास पठन पाठन के साथ सहज रूप में चल सकते हैं। इससे विद्यार्थियों में आत्मविश्वास जागृत होता है।
समाज को भी लाभ मिलता है. आनन्दी बेन विभिन्न विश्वविद्यालयों की नैक तैयारियों की समीक्षा कर रही है. इस क्रम में उन्होंने राजभवन में महात्मा ज्योतिबाफुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय,बरेली के नैक ग्रेडिंग हेतु तैयार प्रस्तुतिकरण की समीक्षा की। कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों को नैक ग्रेडिंग से प्राप्त होने वाले लाभों से अवगत कराकर उनमें इसके प्रति उत्साह और सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करें। संलग्न फोटो और वीडियों में विविधता बढ़ाने के साथ-साथ प्रतिभागियों से युक्त गतिविधि वाले फोटो और वीडियो संलग्न करने पर विशेष जोर दिया।
उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षण तथा सुविधाओं की उपलब्धता के लिए निरन्तर मॉनेटिरिंग करने आंगनवाड़ी केन्द्रों को सुविधा सम्पन्न बनाने, दी गयी सामग्री की समुचित जानकारी रखने, गोद लिए गए गांव में सरकारी.योजनओं को जन-जन तक पहुँचाने को कहा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को गोद लिए गए विद्यालय के बच्चों को विविध गतिविधियों से जोड़ंे, जिससे बच्चों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के प्रति मानसिकता विकसित हो।
राज्यपाल ने नैक मूल्यांकन की तैयारियों हेतु गठित कमेटी के समन्वयकों से सभी सातों क्राइटेरिया पर बिंदुवार जानकारी ली तथा प्रस्तुतीकरण को और बेहतर बनाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रावास में बायोगैस तथा आटोमेटिक किचेन की सुविधा अवश्य होना चाहिए। उन्होंने निर्धारित शब्दों में प्रत्येक क्राइटेरिया को संक्षेप में प्रस्तुत करने और साथ ही प्लेगियरिज्म को छात्रों को समझाने की सलाह भी दी। उन्होंने पुस्तकों के नवीनतम संस्करण से छात्रों को सदैव अद्यतन रखने तथा पर्यावरण की बेहतरी के लिए छात्रों तथा शिक्षकों द्वारा विश्वविद्यालय में किये गये संयुक्त प्रयासों को नैक प्रस्तुतीकरण में सम्मिलित करने तथा छात्रों को विश्वविद्यालय की प्रत्येक गतिविधि से अद्यतन रखने के लिए ‘यूनिवर्सिटी जरनल’ या पत्रिका नियमित रूप से प्रकाशित करने का सुझाव दिया।
विश्वविद्यालय में गूगल कक्षाओं की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि पाठ्यक्रम को प्रतियोगी परीक्षाओं के अनुरूप बनाना होगा तथा एथिकल दृष्टिकोण से पाठ्यक्रम को संसोधित करने का सुझाव दिया ताकि पढ़ाई के साथ छात्र-छात्राएं विभिन्न प्रतियोगिताओं में भी चयनित हो सकें। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के साथ हुए विश्वविद्यालय के ज्वाइंट वेंचर की रिर्पोट को प्रकाशित करने तथा पुस्तकालय में ई-पुस्तकें तथा ई-जरनल के उपयोग का रिकार्ड रखने का भी सुझाव दिया। विश्वविद्यालय को समय से छात्रों की समस्याओं का निराकरण समय से करने का उल्लेख रिपोर्ट में अवश्य करे। उन्होंने विशाखा गाइडलाइन के अनुसार महिलाओं के लिए बनाये गये प्रकोष्ठ का उल्लेख भी प्रस्तुतीकरण में करने के निर्देश दिये। इस अवसर पर प्रमुख सचिव राज्यपाल, कल्पना अवस्थी, विशेष कार्याधिकारी शिक्षा पंकज जॉनी भी उपस्थित थे।