भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अब इंस्टैंट लोन देने वाले ऐप्स को मिल रहे फंडिंग के बारे में पता करने में जुटा है. मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने इस बारे में जानकारी दी है. लोगों को चुटकी में लोन देने वाले इन ऐप्स को लेकर कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें उन्हें इन ऐप्स के प्रतिनिधियों द्वारा प्रताड़ित किया गया है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात भी सामने आई है कि ये ऐप्स डिफॉल्ट के बाद अपने पैसे रिकवर करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं.
इन रिपोर्ट्स में कम से कम दो लोगों के सुसाइड की भी खबरें आ चुकी हैं. जानकारी देने वाले व्यक्ति के मुताबिक, आरबीआई इस बात की जांच कर सकता है कि क्या कुछ बैंक इन ऐप्स को फंड मुहैया करा रहे हैं? अगर ऐसा है तो क्या इन बैंकों ने जरूरी नियमों का पालन किया है?
आरबीआई की तरफ से यह कदम प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एक ऐसे ही मामले में मनी लॉन्ड्रिग का केस दर्ज करने के बाद उठाया जा रहा है. एक इंस्टैंट लोन ऐप्स मामले में पुलिस ने भी मामला दर्ज किया था, जिसके तार विदेश से जुड़े थे. इस केस के आधार पर ईडी भी अब मामले की जांच कर रहा है.
व्यक्ति ने कहा कि फंड इस्तेमाल किए जाने की अंतिम जिम्मेदारी बैंकों और आरबीआई के पास है. इस मामले में यह पता लगाना जरूरी है कि क्या बैंकों ने इनमें से कुछ ऐप्स को फंड मुहैया कराने से पहले जरूरी नियमों का पालन किया है या नही. अगर बैंकों ने विधिवत रूप से ‘नो योर कस्टमर’ गाइडलाइंस को लागू किया है तो यह जानना होगा कि क्या यह ग्राहक तक ही सीमित है या ग्राहक के क्लांइट्स तक है. लाइवमिंट ने अपनी एक रिपोर्ट में आरबीआई के एक पूर्व अधिकारी ने यह बात कही है.