यूट्यूबर, इंफ्लूएंसर और बिग बॉस ओटीटी2 के विजेता एल्विस यादव समेत पुलिस ने पांच लोगों को जब रेव पार्टी में 5 जहरीले कोबरा सांपों के साथ पाया तो हर कोई हैरान रह गया कि वो इन कोबरा सांपों के साथ क्या कर रहे थे. क्या कोबरा से भी कोई नशा किया जाता है. तो इसका जवाब है कि हां दिल्ली, नोएडा और आसपास होने वाली रेव पार्टियों में कोबरा और जहरीले सांपों से खुद को कटाकर नशे में आने की प्रवृति काफी जोर पकड़ रही है.
पुलिस पिछले दो तीन सालों से इस तरह के मामलों में धरपकड़ कर रही है. बेशक ये हैरानी बात हो लेकिन रेव पार्टियों में हिस्सा लेने वाले युवाओं में नशे का जोर इतना बढ़ गया है कि वो तरह तरह का ऐसा नशा करने लगे हैं कि देखकर लोगों के होश उड़ जाएं. हम आपको यहां बताएंगे ये पूरा धंधा कैसे चलता है और कैसे कोबरा और जहरीले सांपों से नशा कराने का खेल होता है. पुलिस भी तस्दीक करती है कि रेव पार्टियों में जहरीले सांपों के जहर को ड्रग्स के तौर पर लिया जा रहा है. एल्विस यादव और पांच अन्य युवा पुलिस द्वारा जिस रेव पार्टी में पकड़े गए, उसमें पुलिस को सांप के जहर की 20 मिलीलीटर मात्रा भी मिली और साथ में 09 सांप बरामद हुए, जिसमें 05 कोबरा, एक पायथन, दोमुंहा सांप और रेट स्नैक शामिल थे.
रेव पार्टियों में नशे के लिए कोबरा का प्रयोग
सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि दिल्ली, नोएडा और आसपास जो भी रेव पार्टियां होती हैं, उसके आयोजकों के कनेक्शन ड्रग डीलर्स के साथ सांपों के ऐसे स्मगलर्स से है, जो इन पार्टियों में जहरीले सांप लेकर पहुंचते हैं और युवाओं को इसका नशा चखाते हैं. हालांकि ये नशा बहुत खतरनाक है. अक्सर इसमें लोग मर भी जाते हैं या पागल हो सकते हैं.
रेव पार्टियों में कोबरा बाइट से नशा करना नया प्रचलन है. ये बहुत खतरनाक नशा है लेकिन दिल्ली, नोएडा और आसपास होने वाली रेव पार्टियों में कोबरा और जहरीले सांपों को लाकर उनसे कटवाकर नशे में डूुब जाने जैसी बातें भी अब हो रही हैं
सांपों के दंश से नशा किया जा रहा
पिछले साल ही इस तरह के एक वाकये में दिल्ली पुलिस ने सांप तस्करों के एक गिरोह को जब पकड़ा तो पता लगा कि जहरीले सांपों का चलन नशे की पार्टियों में होने लगा है. हालांकि जहरीले सांपों का दंश लेकर नशा करना बहुत घातक है लेकिन नशेड़ी युवा इसे आजमाने में पीछे नहीं.
नशे का ये खतरनाक खेल दिल्ली तक आ पहुंचा
वाइल्ड लाइफ कंर्जवेटर मृदुल वैभव ने इस पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया कि ये पूरा खेल कैसे होता है और किस तरह इसमें नशा सिर चढ़कर बोलने लगता है. एक सक्रिय वाइल्ड लाइफ कंजरवेटर का कई सालों से काम कर रहे मृदुल बताते हैं कि ये काम पहले पुष्कर से शुरू हुआ, जहां हिप्पियों और नशेड़ियों को इस तरह के नशे से रू-ब-रू कराया गया. उसके बाद इसका चलन दिल्ली एनसीआऱ की रेव पार्टियों तक पहुंच आया.
कोबरा के काटने पर कहां होता है पहला असर
वह बताते हैं कि सांपों की चार कैटेगरी होती है – हीमोटॉक्सिक औऱ न्यूरो टॉक्सिक. इसमें दो तरह के सांप हीमोटॉक्सिक कैटेगरी के होते हैं, जो जहरीले नहीं होते लेकिन न्यूरोटॉक्सिल कैटेगरी के सांप जहरीले होते हैं. कोबरा न्यूरोटॉक्सिक कैटेगरी में आते हैं. जिनका दंश या काटना पहले सीधे दिमाग पर असर डालता है और फिर जहर खून में फैलने लगता है.
कोबरा विष नशे की प्रचंड स्थिति में ला देता है
उन्होंने बताया कि कोबरा जैसे सांप जब काटते हैं और पूरी तरह से अगर उनके विष शरीर में जाता है तो आदमी के लिए जानलेवा साबित होता है लेकिन अगर यही विष कंट्रोल्ड तरीके से बहुत ही कम अंश में लिया जाए तो दिमाग में चढ़कर प्रचंड नशे की स्थिति में ला देता है. आदमी इसके नशे में आने के बाद एक अलग ही दुनिया में चला जाता है.