उत्तर प्रदेश के ज्यादा से ज्यादा लोगों की स्वास्थ्य जांच के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक महीने का विशेष अभियान लॉन्च किया है. इसके तहत लोगों की टीबी की जांच की जाएगी. गौरतलब है कि इस तरीके का अभियान पहली बार यूपी में चलाया जा रहा है. इससे करोड़ों लोगों के फायदा होने की उम्मीद है.
यह अभियान मुख्य रूप से टीबी के मरीजों की खोज के लिए शुरू किया गया है. अभियान 26 दिसंबर से लेकर 25 जनवरी तक चलाया जाएगा. अभियान का पहला चरण 26 दिसंबर से 1 जनवरी तक चलाया जाएगा. इसके तहत अनाथालय, वृद्ध आश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, नवोदय विद्यालय, मदरसा और जेल में रह रहे व्यक्तियों और बच्चों की जांच की जाएगी. इन जगहों पर रह रहे लोगों की टीबी और कोरोना की जांच की जाएगी.
अभियान का दूसरा चरण 2 से 12 जनवरी तक चलाया जाएगा. इसके तहत शहरी और ग्रामीण मलिन बस्ती के लोगों की जांच की जाएगी. टीबी के लिए ऐसी बस्तियां बहुत ही सेंसिटिव हुआ करती हैं. ऐसी बस्तियों में प्रदेश की 20 प्रतिशत आबादी रहती है. स्वास्थ्यकर्मी यहां रह रहे लोगों की सघनता से टीबी की जांच करेंगे. इसी चरण में जिले के सभी एड्स और शुगर के मरीजों की भी टीबी की जांच की जाएगी. ऐसे लोग शहर या गांव कहीं भी रह रहे होंगे, इनकी टीबी की स्क्रीनिंग भी की जाएगी. प्रदेश में ऐसा पहली बार किया जा रहा है.
अभियान का तीसरा चरण 13 से 25 जनवरी तक चलाया जाएगा. इस अभियान में भी बड़े पैमाने पर टीबी मरीजों के सामने आने की संभावना जताई जा रही है. इस अभियान के तहत शहर के प्राइवेट डॉक्टरों से स्वास्थ्य कर्मी संपर्क बनाएंगे और उनसे जानकारी लेंगे.
इससे पहले भी राज्य सरकार ने टीबी मरीजों की खोज के लिए एक अभियान चलाया था. जानकारों के अनुसार सभी संक्रामक बीमारियों में टीबी ऐसी बीमारी है, जिससे सबसे ज्यादा लोग मरते हैं. पूरे देश में जितने टीबी मरीज हैं, उसका पांचवा हिस्सा अकेले यूपी में हैं. ऐसे में इस बीमारी की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है. कोरोना काल में भले ही टीबी मरीजों की खोज और उनके इलाज में थोड़ी समस्या आई हो, लेकिन अब राज्य सरकार ने पुरजोर तरीके से इस लड़ाई में जुटने का फैसला किया है.