पतंजलि के फाउंडर रामदेव ने 2017 में उम्मीद जताई थी कि मार्च 2018 तक कंपनी की बिक्री दोगुनी से भी ज्यादा होकर 20,000 करोड़ रुपए पहुंच जाएगी. लेकिन, बढ़ने की बजाय पतंजलि बिक्री में 10% घटकर 8,100 करोड़ रुपए रह गई. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पतंजलि ने सालाना वित्तीय रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.
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- रॉयटर्स के सूत्रों व विश्लेषकों का बोलना है कि बीते वित्त साल 2018-19 में भी पतंजलि की बिक्री में व भी ज्यादा कमी आई होगी. केयर रेटिंग्स ने इस वर्ष अप्रैल में बताया था कि 31 दिसंबर 2018 तक की तीन तिमाही में पतंजलि ने सिर्फ 4,700 करोड़ रुपए के उत्पाद बेचे थे.
- रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पतंजलि के मौजूदा व पूर्व कर्मचारियों, सप्लायलर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स, स्टोर मैनेजर व उपभोक्ताओं का बोलना है कि गलत फैसलों की वजह से कंपनी की महत्वाकांक्षाओं में रुकावट आई है. उन्होंने बताया कि तेजी से विस्तार करने की वजह से पतंजलि ने गुणवत्ता बरकरार रखने पर ध्यान नहीं दिया.
- एक पूर्व कर्मचारी के मुताबिक ट्रांसपोर्टर्स के साथ लंबी अवधि की डील नहीं होने से पतंजलि की योजना उलझ गई व लागत बढ़ गई. एक अन्य पूर्व कर्मचारी ने बोला कि पतंजलि के पास बिक्री पर नजर रखने वाले सॉफ्टवेयर की भी कमी है.
- उधर पतंजलि का बोलना है कि तेजी से विस्तार की वजह से कुछ शुरुआती दिक्कतें आईं लेकिन अब समाप्त हो चुकी हैं. पतंजलि के 98.55% शेयर रखने वाले बालकृष्ण ने अप्रैल में एक साक्षात्कार में बोला था कि हमने आकस्मित विस्तार किया, तीन से चार नयी यूनिट प्रारम्भ कीं, इसलिए समस्याएं आनी थीं. हमने नेटवर्क की परेशानी का निवारण कर लिया है.