सरकार ने आमदनी बढ़ाने के लिए जीएसटी दरों में इजाफे की तैयारी कर रही है। इससे कई उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जो लोगों की जेब पर भारी पड़ेगा। दिल्ली में मंगलवार (10 दिसंबर) को हुई केंद्र व राज्य के जीएसटी अधिकारियों की बैठक में कर की दरें बढ़ाने पर चर्चा हुई।
सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों की राय है कि पांच फीसदी वाले स्लैब को बढ़ाकर 6 से 8 फीसदी किया जाए। वहीं 12 वाले स्लैब को 15 फीसदी किया जाए। जीएसटी काउंसिल की 18 दिसंबर को होने वाली बैठक में नई दरों को मंजूरी मिल सकती है। जीएसटी संग्रह के लक्ष्य से लगातार पीछे चल रही सरकार ने कमाई बढ़ाने के लिए जीएसटी अधिकारियों से सलाह मांगी थी।
ई-इनवॉयस अनिवार्य होगा-
बैठक में ई-इनवॉयसिंग को भी अनिवार्य करने की सिफारिश की गई। अधिकारियों ने ये फैसला लिया गया है कि 500 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए ई इनवॉयसिंग को जरूरी किया जाए।
मंत्री ने दिए थे संकेत-
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ में जीएसटी दरों में बदलाव के लिए शुरुआत करने के संकेत दिए थे।
18 फीसदी के स्लैब में सेस-
बैठक में 18% स्लैब वाले भी कम जरूरी उत्पादों पर सेस लगाने की सलाह दी गई है। अभी 28% वाले स्लैब में ही सेस लगता है। आकलन है कि करीब आधा जीएसटी संग्रह 18% स्लैब से होता है। ऐसे मे यहां सेस लगाकर घाटे की भरपाई की जा सकती है।
जागरूक ग्राहकों की चांदी-
जीएसटी वसूली बढ़ाने के लिए ग्राहकों को जागरूक किया जाएगा। सरकार जीएसटी बिल लेकर सामान खरीदने वाले ग्राहकों को ईनाम दे सकती है। ग्राहकों का चयन लकी ड्रॉ से होगा। सभी बिलों में मौजूद लेनदेन आईडी के जरिए लकी ग्राहक चुने जाएंगे।