एक ऐसा देश जो कि आजाद होकर भी आजाद नहीं है. आजादी के बाद भी हांगकांग पर चाइना की दखलअंदाजी समाप्त होती नजर नहीं आ रही है. कई मौकों पर चाइनास्वायत्त हांगकांग पर दखल करता आया है.हालांकि हांगकांग चाइना का किसी भी तरह के हस्तक्षेप के विरोध में है. इन दोनों राष्ट्रों के बीच में राजनितिक प्रयत्न के साथ ही सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक समेत कई मुद्दों पर टकराव होते रहते हैं.
चीन के इसी दखल को लेकर इस समय कांगकांग में चाइना के विरूद्ध विरोध प्रदर्शन चल रहा है. हांगकांग में नए प्रत्यर्पण बिल में हुए बदलावों को लेकर ये विरोध चल रहा है.
पुराने बिल के मुताबिक यदि कोई आदमी कोई किसी अन्य देश में कोई अपराध करके हांगकांग वापस आता है तो उस क्राइम की सुनवाई के लिए ऐसे देश में प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता जिसके साथ संधि नहीं है. यानी की केवल उसी देश को प्रत्यर्पित किया जा सकता है जिसके साथ संधि हो.
गौरतलब है कि चाइना भी इस संधि से बाहर है. लेकिन हाल ही में आए नए बिल में संदिग्धों के प्रत्यर्पण की अनुमति दी गई है. जबकि हांगकांग में इस बिल का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों का बोलना है कि इससे हांगकांग के नागरिकों की आजादी समाप्त होगी.
बता दें, 1997 में ब्रिटेन ने जब चाइना को हांगकांग सौंपा था तो स्वायत्तता की शर्त रखी थी लेकिन नए प्रत्यर्पण बिल से हांगकांग के लोगों की आजादी को लेकर चिंता बढ़ गई है.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब चाइना ने स्वायत्तता को तोड़ने के लिए हांगकांग में दखल दिया हो.
Dolce & Gabbana शोरूम में फोटो नहीं ले सकते हांगकांग के लोग
Dolce & Gabbana शोरूम जो कि 5 जनवरी 2012 को कैंटन रोड पर खुला था, यहां पर हांगकांग के लोगों को फोटो लेने की इजाजत नहीं है. इस प्रतिबन्ध के बाद हांगकांग के लोगों ने शोरूम के बाहर जमा हो कर विरोध किया तो शोरूम प्रबंधन ने बताया कि ये प्रतिबंध चाइना की सरकार के कहने पर लगाया गया था.
बाद में इस मुद्दे में खुलासा हुआ कि इस प्रतिबन्ध को इसलिए लगाया गया था क्योंकि चाइना के मंत्रियों को भय था कि हांगकांग के लोग अगर शोरूम में शॉपिंग करते हुए उनकी फोटो ले लेंगे तो चाइना में उनपर करप्शन का केस चल सकता है.
चीन के प्रोफेसर ने हांगकांग के लोगों को कहे अपशब्द
2012 जब में जब शोरूम में फोटो लेने को प्रतिबंधित किया गया उसी वर्ष पेकिंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कांग क्विंगडॉंग ने हांगकांग के लोगों को खुलेआम ओल्ड डॉग बोला था. इस कारण से भी आम जनता ने देश भर में विरोध प्रदर्शन किये थे.
समानांतर व्यापार की लड़ाई
साल 2012 से ही हांगकांग के उत्तरी हिस्से में चाइना अपना समानांतर व्यापार विकसित करने में लगा हुआ है. इसके लिए चाइना हांगकांग से घरेलू उत्पादों को भारी मात्रा में लेनी लगा इसी के साथ नवजात बच्चों के खाने-पीने की वस्तुओं को भी चाइना खरीदने लगा. इसकी वजह से हांगकांग में इन वस्तुओं की कमी होने लगी.
ऐसी स्थिति में हांगकांग सरकार ने व्यापार के नियमों को कठोर करते हुए आदेश जारी किया कि कोई भी चीनी आदमी आधा किलो से ज्यादा मिल्क पाउडर चाइना नहीं ले जा सकता है.
नागरिकता पाने के लिए हांगकांग में जन्म लेने लगे चाइना के बच्चे
नागरिकता हासिल करने के लिए भी चाइना ने एक नया दांव खेला. इसके चलते वर्ष 2012 के बाद से हांगकांग में चाइना के बच्चों का जन्म तेजी से बढ़ा. इन्हें एंकर बेबीज बोला जाता है.
हांगकांग की नागरिकता पाने के लिए चाइना से गर्भवती महिलाएं हांगकांग आ जाती है व यहां पर उनके बच्चों का जन्म होता है.
आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2001 से 2017 तक करीब 2.25 लाख चीनी बच्चों ने हांगकांग में जन्म लिया. इसके बाद हांगकांग की सरकार ने कानून बनाया कि चाइना से आने वाली गर्भवती स्त्रियों को बच्चे के जन्म पर मेडिकल सुविधा मिलेगी लेकिन उन्हें नागरिकता नहीं दी जाएगी.
हांगकांग की फुटबॉल टीम के साथ हुआ नस्लभेद
जुलाई 2015 में चीनी फुटबॉल एसोसिएशन ने एशियन फुटबॉल टीम के कुछ पोस्टर जारी किये थे. इसमें हांगकांग की टीम में कई नस्लों के लोगों की तस्वीर को दिखाया गया था.
इतना ही नहीं, जब हांगकांग के मैच के दौरान चाइना का राष्ट्रीय गान बजाया गया था. बता दें, हांगकांग ये मैच भूटान व मालदीव की टीम के साथ था.
अप्रैल 2017 में भी ऐसा ही एक मुद्दा सामने आया था जब हांगकांग ईस्टर्न एससी व चीनी क्लब गुआंगझोउ एवरग्रांडे के बीच मैच था. तभी स्टेडियम में गुआंगझोउ एवरग्रांडे के समर्थकों ने नस्लभेदी पोस्टर दिखाए. पोस्टर में लिखा था, ”ब्रिटिश डॉगों को समाप्त करो, हांगकांग की आजादी का जहर मिटाओ.’
सिउ याउ वेई प्रत्यर्पण मामला
जुलाई 2015 में हांगकांग के लोगों ने इमीग्रेशन डिपार्टमेंट से 12 वर्ष की सिउ याउ वेई को चाइना भेजने की मांग की. वेई हांगकांग में अपने दादा-दादी के साथ 9 वर्ष से रह रहा था.जबकि, उसके माता-पिता चाइना में रह रहे थे.
लेकिन हांगकांग की सरकार में शामिल चाइना के समर्थक नेताओं ने हांगकांग के लोगों से अपील की विरोध न करें व बच्चे को अस्थाई तौर पर हांगकांग में रहने दें. बहुत ज्यादा टकरावके बाद वेई खुद ही अपने माता-पिता के पास चाइना चला गया.
हांगकांग नहीं चाहता चाइना का दखल
गौरतलब है कि जब वर्ष 1997 में ब्रिटिश आधिपत्य से मुक्त होकर चीनी आधिपत्य स्वीकारते समय हांगकांग से चाइना ने यह वादा किया था कि वह उसके लिए ‘एक देश, दो व्यवस्था’ की नीति अपनाएगा.
जिसका मतलब था कि हांगकांग को लोकल रूप से स्वायत्तता दी जाएगी, जिसमें स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था, मुक्त पूंजीवाद, आजाद प्रेस व अभिव्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी शामिल थीं.
लेकिन अब हांगकांग के एक बड़े वर्ग को ऐसा लगता है कि पिछले कुछ सालों में चाइना लगातार उनकी आजादी को कम करता जा रहा है. व चाइना का दखल बढ़ता जा रहा है.