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अनुच्छेद 370 से कश्मीरी किसानो का हुआ इतना बड़ा नुक्सान, क्या सरकार से मिलेगी मदद

जम्मू-कश्मीर को विशेष प्रदेश का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त हुए करीब एक महीना हो चुका है. अब समाचार आई है कि कश्मीर के मौजूदा सुरक्षा माहौल से करोड़ों रुपये के फल  ड्राई-फ्रूट का व्यापार प्रभावित हुआ है.

कश्मीर में इतना होता है उत्पादन 

भारत का 91 प्रतिशत अखरोट का उत्पादन कश्मीर में होता है. देश के 70 प्रतिशत सेब का उत्पादन भी कश्मीर में ही होता है. इसके अलावा 90 प्रतिशत बादाम के साथ देश की 90 प्रतिशत चेरी  केसर भी कश्मीर से ही आती है. इनका एक वर्ष का मूल्य करीब सात हजार करोड़ रुपये है. प्रति साल कश्मीर की खेती में 23.535 मीट्रिक टन पैदावार होती है. 23.535 मीट्रिक टन में से 20.35 लाख मीट्रिक टन सहयोग फलों का है. इसके अतिरिक्त सूखे फलों की हिस्सेदारी 2.80 लाख मीट्रिक टन है. वर्ष 2016-17 में बागवानी क्षेत्र ने सेब के बगीचे  अन्य के तहत 7.71 करोड़ रुपये का रोजगार दिया था. घाटी में बागबानी उद्योग करीब 7,000 करोड़ रुपये का है. इसमें सबसे अधिक पैदावार सेब की है.

किसानों को हो रही है दिक्कत

इकोनॉमिक टाइम्स की समाचार के अनुसार, एक सेब किसान ने बोला कि संवाद का माध्यम न होना उनकी सबसे बड़ी समस्या है. लैंडलाइन कनेक्शन नहीं होने से राज्यों के होलसेल डीलरों से सम्पर्क नहीं हो पा रहा है. इतना ही नही, सुरक्षा संबंधी चिंताओं की वजह से कोई कश्मीर आने के लिए भी तैयार नहीं है. इसलिए हम अपने उत्पाद उचित दाम पर नहीं बेच पा रहे हैं.

एक अन्य सेब व्यापारी ने बोला कि, पिछले वर्ष जहां उसने 1200-1300 सेब के डिब्बे बेचे थे. इस वर्ष एक डिब्बे का दाम 450 से 500 रुपये गिरा है.

घाटी के व्यापारी शिकायत कर रहे हैं कि वहां सुरक्षा पाबंदियों  पत्थरबाजों के भय से 2000 के मुकाबले सिर्फ 200 ट्रक ही उपलब्ध हैं. जबकि सरकारी आकलन के अनुसार, 15 सितंबर 2019 से प्रारम्भ होने वाले पीक सीजन के दौरान प्रतिदिन लगभग 1100-1200 ट्रकों की आवश्यकता होगी.

किसानों की मदद के लिए कार्य कर रहा है NAFED 

बीते दिनों जम्मू और कश्मीर के गवर्नर सत्यपाल मालिक ने बोला था कि नेशनल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NAFED) इस क्षेत्र में सेब उत्पादकों की मदद करने के प्लान पर कार्य कर रहा है. प्रदेश प्रशासन को NAFED से मद लेनी पड़ रही है. सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मार्केट मूल्य से 10 रुपये अधिक होने की घोषणा हो सकती है. इसके साथ ही उन्होंने बोला था कि NAFED 5,500 करोड़ रुपये का सेब खरीद सकता है, जो कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत से अधिक होगा.

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