लोकसभा चुनाव में लचर प्रदर्शन के कारण एनसीपी,सीपीआई व टीएमसी जैसी दलों के राष्ट्रीय दर्जे पर अब तलवार लटक रही है. निर्वाचन आयोग इन राजनीतिक दलों को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी कर पूछ सकती है क्यों न उनका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा समाप्त कर दिया जाए. ये खतरा इन पर 2014 के लोकसभा चुनाव में बुरा प्रदर्शन के बाद ही आ गई थी.लेकिन 2016 में चुनाव आयोग के द्वारा अपने कानून में परिवर्तन के कारण यह खतरा टल गया था. चुनाव आयोग ने अपने नियमों में परिवर्तन करते हुए राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर के दर्जे की समीक्षा पांच वर्ष की स्थान हर 10 वर्ष के अंतराल पर कर दी.
दरअसल किसी राजनीतिक दल को तब राष्ट्रीय स्तर का दल माना जाता है जब निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण व आवंटन) आदेश, 1968 के तहत जब उसके उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या अधिक राज्यों में कम से कम छह फीसदी वोट हासिल करें. इसके अतिरिक्त लोकसभा में उसके कम से कम चार सांसद हों. साथ ही लोकसभा सीटों की कम से कम दो फीसदी सीट होनी चाहिए व इसके उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से जीतना चाहिए.
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) पर भी राष्ट्रीय दर्जा खोने का संकट था लेकिन हालिया लोकसभा चुनाव में पिछले बार से अच्छी प्रदर्शन के कारण उन पर ये संकट टल चुका है.