लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि यह तो सभी जानते हैं कि बिना उत्तर प्रदेश की भागीदारी के राष्ट्रीय विकास को गति नहीं मिल सकती है लेकिन भाजपा की सरकार ने विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। बार-बार निवेशक सम्मेलन आयोजित होते हैं किन्तु उसके नतीजे निल बटे सन्नाटा हैं। भाजपा सरकार के केन्द्र में पांच साल बिना किसी परिणाम के निकल गए। अभी उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार की जिंदगी के अढ़ाई वर्ष आते-आते वह हांफने लगी है। यूपी की तस्वीर धुंधली हो गई है। प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट भाजपा के पार्टी सम्मेलन जैसे हो गए हैं।
भाजपा की भोजन, चिंतन और विश्राम की पुरानी परम्परा को अपनाते हुए राज्य सरकार घोषणा, भूमि पूजन और अनुबंध का भ्रमजाल रचती रही है। पूर्व में जो अनुबंध हुए उनके कागजों का अता-पता नहीं है। सरकार का यह दावा कि वह अनुबंधों को जमीन पर उतारने जा रही है, दिल बहलाने का यह ख्याल भर है। केन्द्र सरकार अपने वादे पूरे पांच साल नहीं निभा पाई, राज्य सरकार के आधे दिन रह गए हैं। उसके पास तो कहने को अपनी एक योजना तक नहीं है, जो कुछ भी काम है समाजवादी सरकार के समय के हैं।
वस्तुतः भाजपा सरकार के कार्यकाल में बाहरी उद्यमियों के प्रदेश में पूंजी निवेश के लिए अनुकूल वातावरण ही नहीं बन पाया है। भाजपा सरकार के समय कानून व्यवस्था बुरी तरह बिगड़ी है। कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब राज्य के किसी न किसी कोने से अपराध की कोई न कोई खबर न आती हो। राजधानी की तो और भी बुरी हालत है। यहां आए दिन व्यापारियों की लूट और हत्याएं होती रहती हैं। केवल कानून व्यवस्था ही नहीं, भाजपा सरकार में अवस्थापना सुविधाएं भी नाकाफी है।
सड़क, बिजली, पानी सभी का अभाव है। समाजवादी सरकार में जो बुनियादी ढांचा खड़ा किया था उस विकास के ढांचे को ही भाजपा ने तहस-नहस कर दिया है। भाजपा सरकार की कुनीतियों के चलते उद्यमियों को आए दिन परेशानी उठानी पड़ती है। नौकरशाही उनकी योजनाओं में अडंगे लगाने से बाज नहीं आती है। मुख्यमंत्री जी का प्रशासन पर नियंत्रण नहीं। ऐसे में राज्य के भविष्य के सामने अंधेरा ही अंधेरा है।