मगर रविवार को जिस टीम का चयन विंडीज दौरे के लिए किया गया है, उनमें तीनों सीरीज यानी वनडे, टी-20 व टेस्ट के लिए विराट कोहली ही भारतीय टीम के कैप्टन बनाए हैं। वहीं बुमराह भी टेस्ट सीरीज खेलने के लिए विंडीज जाएंगे। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर 25 जून के बाद से 22 जुलाई तक यानी करीब एक महीने में ऐसा क्या कुछ बदल गया जिसके बाद विराट को विंडीज दौरे के लिए बतौर कैप्टन चुन लिया गया।
क्या विराट को कप्तानी छिन जाने का भय था?
वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल में हिंदुस्तान की पराजय के बाद विराट कोहली की कप्तानी को लेकर बहुत ज्यादा सवाल उठे थे। कुछ ने तो यहां तक कह दिया था कि सीमित ओवरों के प्रारूप में रोहित शर्मा को भारतीय टीम का कैप्टन बनाया जाना चाहिए। विराट व रोहित शर्मा के बीच मनमुटाव की खबरों को भी तब बहुत ज्यादा बल मिला था। ऐसे में कहीं विराट को इस बात का भय तो नहीं था कि अगर वे विंडीज दौरे पर नहीं जाते हैं व रोहित को उनकी स्थान कप्तानी दी जाती है तो फिर कहीं बतौर कैप्टन उनकी टीम में वापसी कठिन न हो जाए।इस तथ्य को पूरी तरह नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता।
क्या टीम मैनेजमेंट ने कोहली को दी थी चेतावनी?
या फिर कहीं ऐसा तो नहीं था कि चौतरफा आलोचनाओं से घिरने के बाद टीम प्रबंधन ने विराट कोहली को इशारा दे दिए हों कि उन्हें टीम का कैप्टन बने रहने के लिए अब भी खुद को साबित करने की आवश्यकता है। इसी के बाद विराट ने वेस्टइंडीज जाने का इरादा बना लिया हो।
दूसरे दर्जे की टीम की स्थान हिंदुस्तान की मजबूत टीम
माना जा रहा था कि वर्ल्ड कप के बाद अधिकांश सीनियर खिलाड़ी आराम करेंगे व हिंदुस्तान की दूसरे दर्जे की टीम वेस्टइंडीज का दौरा करेगी, लेकिन भारतीय क्रिकेट में तेजी से बदले समीकरणों के बाद आखिरकार हिंदुस्तान की मजबूत टीम को ही वेस्टइंडीज भेजने का निर्णय किया गया।