भारत के महात्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने विक्रम लैंडर को लेकर बड़ा खुलासा किया है। नासा को चांद की सतह पर भारत के दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ के विक्रम लैंडर के अवशेष मिले हैं।
नासा ने सोमवार देर रात ट्वीट कर यह जानकारी दी। नासा ने अपने ट्वीट में एक तस्वीर पोस्ट की है, जिसमें विक्रम लैंडर के प्रभाव बिंदु और उस क्षेत्र को दर्शाया गया है जहां मलबा मिला है।
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिला है। नासा ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है। नासा ने रात करीब 1:30 बजे चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की तस्वीर जारी की है। नासा ने बताया कि उसके ऑर्बिटर को विक्रम लैंडर के तीन टुकड़े मिले हैं। ये टुकड़े 2×2 पिक्सेल के हैं।
नासा की ओर से जारी फोटो में नीले और हरे डॉट्स के जरिये विक्रम लैंडर के मलबे के दिखाया गया है। तस्वीर में दिख रहा है कि चांद की सतह पर जहां विक्रम लैंडर गिरा वहां मिट्टी को नुकसान भी हुआ है।
नासा ने कहा, “नासा के मून मिशन ने भारतीय अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का पता लगाया है।” नासा ने अपने बयान में कहा कि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के क्षतिग्रस्त होने के बावजूद चंद्रमा के सतह के इतने करीब पहुंचना एक अद्भुत उपलब्धि है।
उल्लेेखनीय है कि सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी छोर पर सॉफ्ट लैंडिंग के समय भारतीय अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नियंत्रण कक्ष से सम्पर्क टूट गया था। विक्रम लैंडर का सम्पर्क जिस समय इसरो के नियंत्रण कक्ष से टूटा वह चंद्रमा की सतह लगभग 2.1 किलोमीटर दूर था।
नासा ने अपने बयान में कहा, ’26 सितंबर को क्रैश साइट की एक तस्वीर जारी की गई थी और विक्रम लैंडर के सिग्नल्स की खोज करने के लिए लोगों को बुलाया गया था।’ नासा ने आगे बताया, ‘शनमुगा सुब्रमण्यन नाम के शख्स ने मलबे की एक सकारात्मक पहचान की। उन्होंने ही LRO प्रोजेक्ट से संपर्क किया। शानमुगा ने मुख्य क्रैश साइट के उत्तर-पश्चिम में लगभग 750 मीटर की दूरी पर स्थित मलबे की पहचान की थी। यह पहले मोजेक (1.3 मीटर पिक्सल, 84 डिग्री घटना कोण) में एक एकल उज्ज्वल पिक्सल पहचान थी।’