जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्र संघ चुनाव का बिगुल बज चुका है। रविवार को विवि. छात्रों की संभावित वोटर लिस्ट जारी कर दी गई जिसमें आज करेक्शन कराए जा सकते हैं। साथ ही आज ही नामांकन फार्म जारी किए जाएंगे। कल नामांकन प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
विवि.में वाम मोर्चा समर्थित संगठन आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (AISA), स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF), आल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (AISF), कांग्रेस पार्टी (Congress Party) की नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (NIOS), भाजपा (BJP) की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और बिरसा-अम्बेडकर-फुले स्टूडेंट एसोसिएशन (BAPSA) चुनाव मैदान में हैं जिनमें वाम मोर्चा के साथ इस वर्ष 5 संगठन जा सकते हैं।
बीते वर्ष भी वाम मोर्चा 4 संगठनों आईसा, एसएफआई, डीएसएफ और एआईएसएफ एक साथ मिलकर लड़े थे। इस वर्ष बापसा के भी वाम मोर्चे में शामिल होने की उम्मीद है। इस हिसाब से एक बार फिर लेफ्ट यूनिटी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पर भारी पड़ेगी। क्योंकि 2015 में एबीवीपी को ज्वाइंट सेक्रेटरी का पद मिला था उसके बाद से 2016, 2017, 2018 में लेफ्ट यूनिटी ने सेंट्रल पैनल के पदों पर कब्जा जमा के रखा है।
कैंपस में बीते साल करीब 7500 वोट थे इस वर्ष वोटरों की संख्या साढ़े 8 हजार के आसपास है। वोटों में बढ़ोतरी इस वर्ष हुए नए दाखिलों के कारण हुई है।
सूत्रों के अनुसार इस वर्ष लेफ्ट यूनिटी पूरी तैयारी से चुनाव मैदान में उतरेगी। वाम संगठनों में अध्यक्ष पद के लिए नितिन द्रविड़ के नाम पर सहमति बन सकती है। सूत्रों की मानें तो स्कूल ऑफ सोशल साइंस, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज और स्कूल ऑफ लैंग्वेज में लेफ्ट यूनिटी का दबदबा है। बीते वर्ष लेफ्ट यूनिटी को तकरीबन 67 फीसद वोट पड़े थे।
इस बार एसएफआई (SFI) भी अध्यक्ष पद पर दावेदारी मांग सकती है। एसएफआई संगठन की बात करें तो सूत्रों के अनुसार संगठन इस वर्ष लेफ्ट यूनिटी सेंट्रल पैनल के चारों पदों में अध्यक्ष पद चाहती है। एसएफआई का कहना है कि 600 मुस्लिम छात्रों और 1200 से अधिक दलितों के बीच उनकी पैठ है। विवि. में कहा यह भी जा रहा है कि अध्यक्ष पद फिर से आइसा ही रखेगी।