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आखिरी दिन ट्रंप सरकार ने चीन को सुनाई खरी-खोटी, भारत को खतरे से किया आगाह

अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप का कार्यकाल आज खत्म हो रहा है. कुछ घंटों बाद जो बाइडन नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे. इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने अपने फेयरवेल में आखिरी बार अमेरिका की जनता को संबोधित किया. इस दौरान ट्रंप ने 6 जनवरी को कैपिटल हिल पर हुए हिंसक हमले की निंदा की. साथ ही ट्रंप सरकार ने चीन को उसकी हरकतों के लिए चेतावनी भी दी. वहीं, ट्रंप सरकार ने अमेरिका के दोस्त भारत को चीन और रूस से सर्तक रहने की सलाह दी है.

ट्रंप सरकार में विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने भारत के लिए एक ट्वीट में कहा ‘ब्रिक्स याद है? जायर बोल्सोनारो (ब्राज़ील के राष्ट्रपति) और नरेंद्र मोदी को शुक्रिया. बी और आई दोनों को पता है कि सी और आर उनके लोगों के लिए ख़तरा हैं.’ ब्रिक्स ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ़्रीका का संगठन है. पॉम्पियो ने बी ब्राज़ील और आई इंडिया के लिए ये बातें कही हैं. उन्होंने सी (चीन) और आर (रूस) को लेकर कहा है कि दोनों देश ब्राजीन और भारत के लिए ख़तरा हैं.

दरअसल, पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर भारत-चीन के बीच कई महीनों से तनाव है. वहीं, हाल ही में रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव के बयान से दोनों देशों के संबंधों में तनाव को हवा मिली थी. रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लवरोव ने क्वैड गुट पर सख्त टिप्पणी करते हुए भारत को चीन के खिलाफ पश्चिमी देशों की ‘लगातार, आक्रामक और छलपूर्ण’ नीति में एक मोहरा बताया था. क्वैड गुट में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया हैं. इस गुट को एशिया-पैसिफिक में चीन विरोधी गुट के तौर पर देखा जा रहा है.

पॉम्पियो ने अपने बयान में कहा है, ‘मेरा मानना है कि चीन का यह जनसंहार अब भी जारी है. हमलोग देख रहे हैं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार सुनियोजित तरीक़े से वीगरों को तबाह कर रही है.’ पॉम्पियो का यह बयान चीन के उत्तरी-पश्चिमी शिंजियांग में वीगरों को लेकर उसकी कार्रवाई पर अब तक की सबसे कड़ी टिप्पणी है. मानवाधिकार समूहों का मानना है कि चीन ने पिछले कुछ सालों से लाखों वीगर मुसलमानों को निगरानी कैंपों में रखा है. चीन की सरकार इन निगरानी कैंपों को पुनर्शिक्षण कैंप कहती है.

ट्रंप ने अपने फेयरवेल स्पीच में जानलेवा कोरोना वायरस का भी जिक्र किया. ट्रंप ने कहा, ‘चीन के साथ हमने नई रणनीति के साथ डील की. हमारे व्यापार संबंध तेजी से बदल रहे थे. अमेरिका में अरबों डॉलर का निवेश किया जा रहा था, लेकिन कोरोना वायरस ने हमें अलग दिशा में जाने के लिए मजबूर किया.’

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