बाइक हो या कार, टायरों में नाइट्रोजन भरवाना दोनो के लिए लाभकारी होता है. नाइट्रोजन ( nitrogen ) भरवाने से गाड़ियों को बहुत ज्यादा लाभ होता है. लेकिन फिर भी लोग नाइट्रोजन को पहली प्रिफरेंस नहीं देते. यही वजह है कि सरकार अब टायरों में सामान्य कंप्रेस्ड हवा की स्थान नाइट्रोजन हवा का प्रयोग करने की योजना पर कार्य कर रही है.दरअसल गर्मियों में वाहनों के टायर फटने के कई मुद्दे सामने आते हैं. टायर फटते ही वाहन अनियंत्रित हो जाने की वजह से दुर्घटना हो जाते हैं.
रोड दुर्घटना ( road accidents ) रोकने के लिए हो रहे इंतजाम-
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपने बयान में बोला है कि 2016 में 133 व 2017 में 146 लोगों की मृत्यु सीमेंट कंक्रीट राजमार्ग पर टायर फटने की वजह से हुई है. इसे देखते हुए हमने टायर निर्माताओं को टायर के रबर के साथ सिलिकॉन व हवा के बजाय नाइट्रोजन का प्रयोग को जरूरी करने पर विचार कर रहे है.
गडकरी ने बोला कि अमेरिका व अन्य पश्चिमी राष्ट्रों में टायर के निर्माण में रबर के साथ सिलिकॉन डाला जाता है. इससे अधिक गति पर टायर का तापमान बढ़ने से इसके फटने की शिकायतें कम हो सकती है. साथ ही टायरों में नाइट्रोजन भरवाने से टायर ठंडा रहता है. इन दोनों बातों को जरूरी बनाने पर विचार किया जा रहा है.
टायर में हवा का ठीक होना है बेहद जरूरी-
टायरों में हवा का ठीक होना महत्वपूर्ण होता है. कम या ज्यादा हवा गाड़ी के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. दरअसल हवा का दबाव अच्छा न होने के कारण तेजी से घूमते टायर में बेहद तनाव उत्पन्न होता है. गलत दबाव के कारण पहिये चरमराने लगता है व बहुत देर तक ऐसा होने के बाद आकस्मित टायर फट जाता है. जिसकी वजह से खतरनाक रोड दुर्घटनातक हो जाते हैं.