डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे भले ही देखने में साधारण बच्चों से अलग लगें, लेकिन उनमें भी वही बचपना व समझबूझ होती है. शायद कुछ चीजें समझने में थोड़ा ज्यादा वक्त लगे, लेकिन उन्हें कमतर समझना गलत होने कि सम्भावना है. जानें क्या है डाउन सिंड्रोम व ऐसे स्पेशल बच्चों की कैसे केयर की जाए-डाउन सिंड्रोम
बच्चों से जुड़ी यह गंभीर समस्या है, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास आम बच्चों की तरह नहीं हो पाता. व्यक्तित्व में विकृतियां दिखाई देने के बावजूद देखभाल और प्यार से इन बच्चों को सामान्य ज़िंदगी दिया जा सकता है. लड़कों में इस रोग के मुद्दे ज्यादा सामने आते हैं. कई बार इनमें रीढ़ की हड्डी में विकृति, सुनने और देखने की क्षमता में कमी भी पाई जाती है.
ऐसे पहचानें
इससे पीड़ित बच्चों की मांसपेशियां निर्बल होती हैं. आयु बढ़ने के साथ इनमें ताकत बढ़ती है, लेकिन सामान्य बच्चों की तुलना में बैठने, चलने, उठने या सीखने में अधिक समय लगता है. इनमें दिल रोगों की संभावना अधिक रहती है. कुछ बच्चों में चेहरा सपाट, छोटे कान और आंखों के ऊपर तिरछापन भी होता है.
देखभाल ही है इलाज
ऐसे बच्चों का पूर्ण उपचार संभव नहीं है. लेकिन देखभाल और प्यार से उनकी केयर की जा सकती है. माता-पिता उसे ऐसा वातावरण उपलब्ध कराएं जिसमें वह सामान्य जिंदगी जीने की प्रयास करे. मानसिक-बौद्धिक विकास के लिए विशेषज्ञों की मदद ले सकते हैं.
– इन बच्चों को हर गतिविधि में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लेकिन सकारात्मक रवैया रखते हुए अभिभावक बच्चे को उत्साहित करें तो समस्याओं को हल किया जा सकता है.
– खानपान का विशेष ख्याल रखें. जैसे अधिक पोषक तत्त्व वाली चीजें दें.
– शारीरिक और मानसिक स्तर पर मजबूत बनाने के लिए पेरेंट्स उन्हें हर छोटी-छोटी एक्टिविटी में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें व साथ दें.
– यदि आपके एक बच्चें में यह समस्या है व दोबारा प्रेग्नेंसी के बारे में सोच रही हैं तो गर्भधारण से पहले क्रोमोसोमल टैस्ट जरूर कराएं.
– ऐसे बच्चों को अपराधबोध न कराएं व न ही इस कारण खुद कुंठित महसूस करें. ज़िंदगी की चुनौती मानकर बच्चे को समाज से जोड़कर रखें.
– बच्चे को डांटें नहीं व न ही उसकी तुलना किसी अन्य बच्चे से करें.