यूपी बार काउंसिल की अध्यक्ष दरवेश यादव की हत्या ने सियासी रंग लेना शुरू कर दिया है। हत्याकांड को लेकर बीएसपी सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। मायावती और अखिलेश ने इस घटना को लेकर संवेदना व्यक्त की है साथ ही कानून व्यवस्था को लेकर सवाल भी उठाए हैं।
मायावती ने ट्वीट कर कहा कि, ‘यूपी बार कौन्सिल की नवनिर्वाचित अध्यक्ष दरवेश यादव की आगरा कोर्ट परिसर में जघन्य हत्या अति-दुःखद व अति-निन्दनीय. साथ ही शामली में पुलिस द्वारा पत्रकारों की अकारण पिटाई जैसी घटनायें साबित करती हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के शासन में अराजकता व जंगलराज और भी ज्यादा बढ़ गया है।’
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि, ‘प्रदेश में बलात्कार, हत्याओं व राजनीतिक हमलों की वारदातें बढ़ती ही जा रही हैं। मुख्यमंत्री जी मीटिंग पर मीटिंग ले रहे हैं लेकिन कानून-व्यवस्था बद-से-बदतर होती जा रही है। आगरा में बार काउंसिल की अध्यक्षा को गोली मारने से ये साबित हो गया है कि अब हालात काबू से बाहर हो चुके हैं।’
अखिलेश ने एक दूसरे ट्वीट में लिखा कि, ‘सीएम बैठक पर बैठक कर रहे है। अपराधी अपराध पर अपराध! आगरा में बार काउंसिल अध्यक्ष की हत्या कानून व्यवस्था पर सुलगता सवाल. दुखद!’
बता दें कि दरवेश यादव को उनके साथी वकील ने बुधवार को गोली मार दी थी जिससें मौके पर ही उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद हमलावर वकील ने खुद को भी गोली मार ली, उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। इस घटना से पूरे इलाके भर में सनसनी फैल गई है। आगरा की अधिवक्ता दरवेश यूपी बार काउंसिल की पहली महिला अध्यक्ष चुनी गई थीं।
पुलिस ने बताया कि दीवानी परिसर में उनके स्वागत का कार्यक्रम चल रहा था, इस बीच एडवोकेट मनीष शर्मा, दरवेश सिंह के पास पहुंचे और एक के बाद एक तीन राउंड फायरिंग की। दरवेश मौके पर ही गिर गईं और उनकी मौत हो गई, इसके बाद आरोपी मनीष शर्मा ने खुद को भी गोली मार ली। दरवेश और मनीष को अस्पताल ले जाया गया जहां दरवेश को मृत घोषित कर दिया गया और मनीष का इलाज किया जा रहा है। सूचना मिलते ही एडीजी सहित पूरी पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गई। दो दिन पहले ही दरवेश को यूपी बार काउंसिल का अध्यक्ष बनाया गया था।
एटा की रहने वाली दरवेश ने आगरा कॉलेज से एलएलबी और एलएलएम किया था। वे 2004 से दीवानी में प्रैक्टिस कर रही थीं। 2017 में उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया था। 2019 में उन्हें और एक अन्य वकील को चुनाव में बराबर-बराबर वोट मिले थे। दोनों को ही छह छह महीने के लिए अध्यक्ष रहना था।