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बदरीनाथ दर्शन को पहुंच रहे तीर्थयात्री अपनी जान जोखिम में डालकर कर रहें ये काम

मौसम केंद्र के अनुसार राज्य के ज्यादातर इलाकों में बारिश का अनुमान है। विशेषकर कुमाऊं के कई क्षेत्रों में भारी बारिश के आसार हैं। इसको देखते हुए चेतावनी जारी की गई है। पिथौरागढ़ में थल-मुनस्यारी स्टेट हाईवे सहित 11 सड़कें बंद हैं। अन्य दस बंद ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें हैं। सड़कों को खोलने का काम जारी है। यहां बादल छाए हैं।

स्थायी समाधान नहीं होने से बढ़ा लामबगड़ में भूस्खलन का दायरा बदरीनाथ हाईवे पर लामबगड़ भूस्खलन क्षेत्र अब नासूर बन गया है। जिम्मेदार विभाग कई वर्षों में इसका स्थायी समाधान नहीं ढूंढ सके हैं। सुधारीकरण के नाम पर भारी भरकम रकम खर्च होने के बावजूद भूस्खलन क्षेत्र का दायरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

स्थायी ट्रीटमेंट न होने की एक बड़ी वजह के पीछे एनजीटी की रोक भी बताई जा रही है। बताया गया है कि सुधारीकरण कार्य में जुटी मेकाफेरी कंपनी ने लामबगड़ पहाड़ी के शीघ्र भाग से ट्रीटमेंट कार्य शुरू करने के लिए यहां 60 पेड़ों के कटान की अनुमति मांगी थी, लेकिन एनजीटी से इसकी अनुमति नहीं मिलने से यह काम शुरू नहीं हो सका है।

बदरीनाथ हाईवे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बदरीनाथ और हेमकुंड यात्रा के साथ ही चीन सीमा से जुड़ा क्षेत्र होने से बदरीनाथ हाईवे सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, इसके बावजूद हाईवे को सुधारने की दशा में धरातल पर गंभीर प्रयास होते नहीं दिखे हैं। आज इस राजमार्ग पर कई डेंजर जोन बन चुके हैं। लामबगड़ भूस्खलन जोन तो खतरनाक रूप ले चुका है। यहां वर्ष 1999 में भूस्खलन शुरू हो गया था। ट्रीटमेंट के नाम पर सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और लोनिवि एनएच खंड की ओर से भारी भरकम धनराशि खर्च की जा चुकी है, लेकिन अभी तक भूस्खलन का स्थायी समाधान नहीं निकाला जा सका है।

प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2016 में लामबगड़ भूस्खलन क्षेत्र के सुधारीकरण का कार्य बीआरओ से हटाकर एनएच को दे दिया। एनएच ने मेकाफेरी कंपनी को इसके ट्रीटमेंट के लिए 97 करोड़ रुपये दिए। कंपनी ने अलकनंदा साइड से दीवार का निर्माण कार्य तो किया लेकिन हाईवे के लिए सिरदर्द बनी चट्टान पर कोई सुधारीकरण कार्य नहीं हो पाया है, जिससे यहां भूस्खलन का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है।

न प्रशासन रोक रहा, न थम रहे तीर्थयात्रियों के कदम लामबगड़ चट्टान का करीब 800 मीटर हिस्सा दरक रहा है। थोड़ी बारिश होने पर भी चट्टान से बोल्डर और मलबा तेजी से अलकनंदा तक छिटक रहा है। यहां स्थानीय लोग भी पैदल आवाजाही करने से डर रहे हैं, लेकिन बदरीनाथ दर्शन को पहुंच रहे तीर्थयात्री अपनी जान जोखिम में डालकर लामबगड़ में पैदल आवाजाही कर रहे हैं। प्रशासन भी तीर्थयात्रियों को नहीं रोक रहा है, हालांकि लामबगड़ गदेरे से लेकर लामबगड़ बाजार तक तीर्थयात्रियों को लाने और ले जाने के लिए पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर तैनात हैं।

एनजीटी की रोक के चलते लामबगड़ में सुधारीकरण कार्य नहीं हो पा रहा है। लामबगड़ में वैकल्पिक मार्ग के निर्माण के लिए सर्वे भी कराया गया है। भूस्खलन क्षेत्र में तीर्थयात्रियों को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन यात्री यहां पैदल ही आवाजाही कर अपने गत्तव्य को जाना चाहते हैं। यात्रियों की सुरक्षा के लिए पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें लगाई गई हैं। हाईवे को जल्द ही सुचारु कर लिया जाएगा।

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