प. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने शुक्रवार को मांग की कि उच्चतम न्यायालय की तरह ही कॉलेजियम से चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति होनी चाहिए. लोकसभा चुनाव में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए ममता ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा. ममता ने बोला कि चुनाव आयोग के तीन नामित सदस्यों को मतदान कराने का पूरा अधिकार नहीं होना चाहिए.ममता ने कहा, उच्चतम न्यायालय में एक कॉलेजियम होता है जो जजों की नियुक्ति तय करता है. इसलिए चुनाव आयोग में आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम होना चाहिए.
ईवीएम मुद्दे पर सभी विपक्षी पार्टियां एकसाथ आएं- ममता
बनर्जी ने सभी विपक्षी पार्टियों से ईवीएम मुद्दे पर एकजुट होने की अपील की. उन्होंने बोला कि हमें मिलकर एक कमेटी बनाने की मांग करनी चाहिए जो ईवीएम में छेड़छाड़ व चुनावी शिकायतों की जाँच करे.
‘ईवीएम में छेड़छाड़ व चुनावी गड़बड़ी के कई सबूत मिले’
उन्होंने कहा- ईवीएम में छेड़छाड़ व चुनावी गड़बड़ी के कई सबूत मिले हैं. हमारा मानना है कि यहां फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी होनी चाहिए जो इन मामलों की जाँच करे. उन्होंने बोला कि हम इसे लेकर जल्द ही कांग्रेस पार्टी से भी बात करेंगे. वहीं, नीति आयोग की मीटिंग में शामिल न होने के निर्णय को लेकर ममता ने बोला कि मीटिंग में शामिल होना बेकार है, क्योंकि इसका एजेंडा केन्द्र ने राज्यों की सहमति के बिना पहले ही तैयार कर लिया है.
सुप्रीम न्यायालय में जजों की नियुक्ति व प्रमोशन पर निर्णय लेता है कॉलेजियम
सुप्रीम न्यायालय में जजों की नियुक्ति व प्रमोशन से जुड़े मामलों के लिए पांच सीनियर जजों की एक समीति बनाई जाती है. इसे कॉलेजियम कहते हैं. समिति नियुक्ति व प्रमोशन से जुड़े मामलों पर निर्णय लेती है व सरकार को भेजती है. सरकार अगर कॉलेजियम की सिफारिश को मान लेती है तो उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. राष्ट्रपति नोटिफिकेशन जारी करता है. इसके बाद जज की नियुक्ति होती है.