ब्रिटेन को बोरिस जॉनसन के रूप में अपना नया प्रधानमंत्री मिल गया है। लंदन के पूर्व मेयर और यूके के पूर्व विदेश मंत्री जॉनसन मंगलवार को कंजर्वेटिव पार्टी के नेता चुने गए। उन्हें 92,153 (66 प्रतिशत) वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी जेरमी हंट को सिर्फ 46,656 वोट मिले। कंजर्वेटिव पार्टी के कुल 1,59,320 सदस्यों में से 87.4 प्रतिशत ने वोट डाला था।
55 साल के बोरिस जॉनसन ब्रेग्जिट के प्रबल समर्थक हैं और उन्होंने इसके पक्ष में जमकर अभियान चलाया था। कंजर्वेटिव पार्टी का नया नेता चुने जाने के बाद उन्होंने 31 अक्टूबर तक ईयू से यूके के अलग होने की (ब्रेग्जिट) प्रक्रिया को पूरी करने की प्रतिबद्धता जताई है। मौजूदा प्रधानमंत्री टेरिसा मे अब क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय को अपना इस्तीफा भेजने से पहले हाउस ऑफ कॉमंस में बतौर प्रधानमंत्री आखिरी बार सवालों का सामना करेंगी। मे ने पिछले महीने ब्रेग्जिट मुद्दे पर पार्टी में विद्रोह के बाद इस्तीफे का ऐलान किया था। वह ब्रेग्जिट को लेकर यूरोपीय संघ से हुए समझौते को ब्रिटिश संसद में पास नहीं करा पाईं।
बोरिस जॉनसन ऐसे वक्त में ब्रिटेन की सत्ता संभालने जा रहे हैं, जब ब्रेग्जिट को लेकर अनिश्चितता का माहौल है। उनके सत्ता संभालने से पहले ही उन्हें पार्टी में विद्रोह का सामना करना पड़ा है। चांसलर फिलिप हैमंड समेत कई प्रमुख कैबिनेट मंत्री पहले ही यह कह चुके हैं कि जॉनसन के नेतृत्व में काम करने से बेहतर है कि वे इस्तीफा दे देंगे।
क्या है ब्रेक्जिट?
ब्रेक्जिट यानी ब्रिटेन+एक्जिट। ब्रेक्जिट का सीधा सा मतलब है ब्रिटेन का यूरोपियन यूनियन से बाहर जाना। पूरी दुनिया में इस बात को लेकर असमंजस है कि ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन में रहेगा या नहीं। फिलहाल यह फैसला ब्रिटेन की संसद के हाथ में है कि वह ईयू में रहना चाहती है या नहीं, ये सबसे बड़ी चुनौती मोरिस जॉनसन के सामने होगी।