मांग में गिरावट तथा माल एवं सेवा कर की वजह से बिस्कुट, केक जैसे उत्पाद बनाने वाली कंपनी पारले प्रोडक्ट्स अगले एक साल में 10,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा सकती है। कंपनी का कहना है कि मांग घटने के अलावा आम लोगों के लिए कम मूल्य के उत्पादों पर ऊंचे जीएसटी के प्रभाव की वजह से उसे यह कदम उठाना पड़ सकता है। कंपनी के खुद के 10 कारखाने हैं। इसके अलावा उसकी तीसरे पक्ष विनिर्माता वाली 125 इकाइयां हैं। कंपनी के बिस्कुट और अन्य कारोबार में फिलहाल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एक लाख लोग कार्यरत हैं।
पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ अधिकारी (कैटेगिरी प्रमुख) मयंक शाह ने कहा, ‘‘हमने अभी तक छंटनियां नहीं की हैं। अगर चीजें नहीं सुधरीं तो हमें यह कदम उठाना पड़ सकता है।’’ बिस्कुट उद्योग के समक्ष चुनौतियों का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कम मूल्य तथा ऊंची मांग वाली श्रेणी में बिक्री में करीब 7-8 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि कम मांग लेकिन ऊंचे मूल्य वाली श्रेणी में बिक्री में 8-9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि बिस्कुट कारोबार में कुल वृद्धि घटकर 2.5 प्रतिशत रह गई है जो पहले दो अंक में होती थी।
शाह ने कहा कि समस्या 2017 में जीएसटी के क्रियान्वयन के साथ शुरू हुई। बिस्कुट को 18 प्रतिशत के स्लैब में डाल दिया गया। पहले की कर व्यवस्था में 100 रुपये प्रति किलोग्राम से कम के बिस्कुट पर उत्पाद शुल्क की छूट थी। उन्होंने कहा कि उद्योग ने इस बारे में सरकार से संपर्क किया है लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।
शाह ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि सरकार इस बारे में तत्काल कोई कदम उठाएगी।’’ यह पूछे जाने पर कि यदि सरकार हस्तक्षेप नहीं करती है तो क्या तत्काल छंटनी होगी, शाह ने कहा कि यदि ऐसी स्थिति बनती है तो एक साल की अवधि में ऐसा होगा।