केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को देश और विदेश में आतंकी मामलों की जांच में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को और मजबूत बनाने के लिए 2 कानूनों को संशोधित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून में संशोधन को मंजूरी दी है।
जिससे आतंकवाद से जुड़े लोगों को आतंकी घोषित किया जा सकेगा। वहीं एनआईए कानून में संशोधन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है, ताकि एजेंसी को और सशक्त बनाया जा सके। इस संसोधन के बाद एजेंसी भारत के बाहर भी भारतीय नागरिकों या उनके हितों को नुकसान पहुंचने की स्थिति में मामला दर्ज कर जांच कर सकती है।राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) विधेयक आने के बाद उन मामलों का दायरा बढ़ जाएगा, जिनकी एजेंसी जांच कर सकती है। एनआईए ऐक्ट में कई नए अपराधों को भी जोड़ा जा रहा है। इनमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 एफ के तहत दर्ज किए जाने वाले साइबर टेररेजम के साथ-साथ धारा 370 और 371 के तहत आने वाले मानव तस्करी से संबंधित आईपीसी अपराध भी शामिल हैं, जिनमें अक्सर अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय लिंक होते हैं।
एनआईए कानून और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून को संशोधित करने के लिए अगले कुछ दिनों में संसद में अलग-अलग विधेयक लाए जाएंगे। एनआईए (संशोधन) विधेयक के मसौदे के अनुसार, एजेंसी को किसी राज्य में सर्च के लिए शीर्ष पुलिस अधिकारी की इजाजत लेने जरूरत नहीं होगी।
हालांकि एनआईए को अभी भी जांच से पहले किसी से इजाजत लेनी नहीं होती है, जबतक कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब होने की आशंका न हो। वहीं गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून में प्रस्तावित संशोधन से सरकार आतंकवाद से जुड़े लोगों (लश्कर-ए-तैयबा सरगना हाफिज सईद और जैश-ए-मुहम्मद सरगना मसूद अजहर) को आतंकी घोषित कर पाएगी।
अभी केवल संगठनों को ‘आतंकी संगठन’ घोषित किया जा सकता था। एक और प्रस्तावित संशोधन एनआईए कोर्ट के एक जज को उनके नाम के बजाए उनके पद से नामित किए जाने की सुविधा देता है। किसी व्यक्ति को ‘आतंकवादियों की लिस्ट’ में शामिल करने उसपर ट्रैवल बैन लगाने में मदद मिलती है और ऐसे लोगों की फंड और बाकी सुविधाओं तक पहुंच सीमित हो जाती है।
फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के मानकों के अनुसार सदस्य राष्ट्रों के कानून, संयुक्त राष्ट्र के कानून के अनुरूप होने चाहिए जिनमें व्यक्तियों को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान हो।