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रीढ़ की हड्डी व पैरों से जुड़े विकारों से छुटकारा पाने के लिए करे ये तीन आसन…

रीढ़ की हड्डी  पैरों से जुड़े विकारों में खड़े होकर किए जाने वाले कुछ आसन मददगार होते हैं. इनमें ताड़ासन, वृक्षासन  त्रिकोणासन अहम हैं. ये पीठ को सीधा कर पैर की मांसपेशियों और लिगामेंट्स को मजबूती देते हैं. साथ ही सिर से लेकर पंजों तक शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाकर कर लंबाई बढ़ाते हैं.जानिए इन्हें करने के ढंग और फायदों के बारे में-वृक्षासन (वृक्ष की स्थिति में) –
इस आसन को करने के बाद अंतिम अवस्था में आदमी की मुद्रा एक पेड़ जैसी बनती है. इसलिए इसे वृक्षासन कहते हैं.
ऐसे करें : दोनों पैरों के बीच दो इंच का गैप देकर खड़े हो जाएं. आंखों के सामने किसी बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें. सांस को शरीर के बाहर छोड़ते हुए दाएं पैर को मोड़कर उसके पंजे को बाएं पैर की अंदरुनी जांघ पर रखें. एक्सरसाइज करते समय ध्यान रखें कि एड़ी मूलाधार (शरीर में उपस्थित सबसे निचला चक्र) से मिली होनी चाहिए. सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाकर हथेलियों को जोड़ लें. इस अवस्था में 10-30 सेकंड तक रहें. इस दौरान सामान्य रूप से सांस लेते रहें. सांस को बाहर छोड़ते हुए हाथों  दाएं पैर को प्रारंभिक अवस्था में ले आएं. शरीर को आराम देते हुए इस प्रक्रिया को बाएं पैर से भी दोहराएं.

न करें : आर्थराइटिस, बार-बार चक्कर आना  अधिक वजन होने की स्थिति में इसे न करें.

ताड़ासन (ताड़वृक्ष की स्थिति में) – 
इसमें ताड़ का अर्थ है पहाड़, ताड़ या खजूर का पेड़. इसे खड़े होकर करने वाले सभी आसनों का आधार माना जाता है.
विधि : सीधे खड़े होकर दोनों पंजों के बीच कुछ इंच की दूरी रखें. अब दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाकर अंगुलियों को आपस में एक-दूसरे से मिलाएं. हथेलियों को बाहर की ओर रखते  सांस लेते हुए भुजाओं को ऊपर की ओर करके कंधों को एक सीध में ले आएं. पैरों की एड़ी को ऊपर उठाते हुए पैर की अंगुलियों पर संतुलन बनाएं. इस स्थिति में 10-15सेकंड तक रुके रहें. सांस को बाहर निकालते हुए एडिय़ों को वापस जमीन पर रखें.

न करें : जिन्हें दिल संबंधी रोग और वेरिकोज वेन्स से जुड़ी कठिनाई होती है वे इसे न करें. चक्कर आने की स्थिति में अंगुलियों पर ऊपर उठने का कोशिश न करें.

त्रिकोणासन (तीन कोण वाला आसन) –
इसके एक्सरसाइज के समय शरीर और पैरों से बनी आकृति त्रिकोणावस्था में दिखाई देती है.
विधि: दोनों पैरों को क्षमतानुसार फैलाकर खड़े हो जाएं. दोनों हाथों को दाएं-बाएं सामानांतर होने तक धीरे-धीरे उठाएं. सांस बाहर छोड़ते हुए बाईं तरफ झुकें और बाएं हाथ को बाएं पैर के पीछे की ओर रखें. दाएं हाथ को सीधे ऊपर की ओर बाएं हाथ की सीध में लाएं. दाएं हाथ की हथेली को सामने करते  सिर को ऊपर की ओर करते हुए दाएं हाथ की बीच की अंगुली को देखें. सामान्य सांस लेते हुए 10-30 सेकंड तक ऐसे ही रहें. सांस लेते हुए प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं.

न करें : बॉडी का मूवमेंट झटके से न करें. इसे धीरे-धीरे मूव करें. अन्यथा परेशानी हो सकती है, स्लिप डिस्क, साइटिका  जिनकी पेट से जुड़ी पूर्व में कोई सर्जरी हो चुकी हो वे इसे न करें.

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