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सुखी ज़िंदगी के लिये अपने जीवन में अपनाए यह सूत्र, परेशानियों से जल्द मिलेगा छुटकारा

गौतम बुद्ध के ज़िंदगी से जुड़े कई ऐसे प्रसंग हैं, जो हमें सुखी  पास ज़िंदगी के सूत्र बताते हैं. अगर बुद्ध द्वारा दिए गए सूत्रों का पालन किया जाए तो हम कई परेशानियों से बच सकते हैं. यहां जानिए ऐसा ही एक प्रसंग…

प्रसंग के अनुसार एक दिन गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे. वे एकदम शांत थे, उन्हें इस प्रकार देखकर उनके शिष्य बहुत चिंतित हुए. शिष्यों ने सोचा कि शायद तथागत का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है.
तभी एक शिष्य ने उनसे पूछा कि आज आप मौन क्यों हैं? क्या हमसे कोई गलती हो गई है? एक अन्य शिष्य ने पूछा कि क्या आप अस्वस्थ हैं? शिष्यों की बात सुनकर भी बुद्ध चुपचाप ही बैठे रहे. तभी कुछ दूर खड़ा एक शिष्य जोर से चिल्लाया कि आज मुझे सभा में बैठने की अनुमति क्यों नहीं दी गई है?
बुद्ध आंखें बंद करके ध्यान करने लगे. बुद्ध को ध्यान में बैठा देखकर वह शिष्य फिर से चिल्लाया कि मुझे प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं दी है?
तभी बुद्ध के सामने बैठे एक शिष्य ने बुद्ध से बोला कि कृपा कर उसे भी सभा में आने दीजिए.
बुद्ध ने आखें खोली  कहे कि नहीं वह अछूत है. उसे आदेश नहीं दी जा सकती. ये सुनकर शिष्यों को बड़ा आश्चर्य हुआ. कई शिष्य कहे कि हमारे धर्म में तो जात-पात का कोई भेद ही नहीं, फिर वह अछूत कैसे हो गया?
बुद्ध ने बोला कहा कि आज वह क्रोधित हो कर आया है. क्रोध से ज़िंदगी की एकाग्रता खत्म होती है. क्रोधी आदमी मानसिक हिंसा करता है. इसलिए उसे कुछ समय एकांत में ही खड़े रहना चाहिए. क्रोधित शिष्य भी बुद्ध की बातें सुन रहा था.

> अब उसे खुद किए व्यवहार पर पछतावा होने लगा. वह समझ चुका था कि अहिंसा ही हमारा धर्म है. उसने बुद्ध के सामने संकल्प किया कि अब वह कभी क्रोध नहीं करेगा.
कथा की सीख
इस कथा की सीख यह है कि जो लोग क्रोध करते हैं, वे कभी भी सुखी नहीं रह पाते हैं. क्रोध की वजह से ज़िंदगी में परेशानियां बढ़ती हैं. रिश्तों में दरार आ सकती है. क्रोध में कहे गए शब्द दूसरों के दिल को नुकसान पहुंचाते हैं. इसीलिए क्रोध से बचना चाहिए.

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