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सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार, कहा- हमें हल्के में मत लें, कश्मीर प्रतिबंधों पर आपका जवाब कहां है?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार को राज्य में जारी प्रतिबंधों का जवाब ना दाखिल करने पर फटकार लगाई है। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि, वह उन आदेशों को पेश करे जिनके आधार पर राज्य में संचार व्यवस्था पर प्रतिबंध लगाए गए। इसके साथ कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि, अभी तक वह जम्मू कश्मीर लगाए गए प्रतिबंधों का जवाब दाखिल करने में क्यों असफल रही है। मामला लोगों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है।

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के नेताओं और प्रभावशाली लोगों को हिरासत में लेने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मलेशियाई एनआरआई कारोबारी की पत्नी की याचिका पर अदालत ने बुधवार को राज्य प्रशासन से पूछा कि इस पर अब तक कोई जवाब दाखिल क्यों नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार से हलफनामा दाखिल करने में देरी पर अपनी नाराज़गी जताते हुए कहा, आप हमें हल्के में नहीं ले सकते। जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता में बेंच ने कहा कि मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा है। इसलिए प्रशासन को गुरुवार तक जवाब दे।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि वह इन प्रतिबंधों से संबंधित प्रशासनिक आदेश केवल पीठ के अध्ययन के लिए शीर्ष अदालत में पेश करेंगे। मेहता ने पीठ ने कहा, हम उन्हें उच्चतम न्यायालय के सामने पेश करेंगे। राष्ट्रहित में लिए गए प्रशासनिक फैसलों की अपील पर कोई नहीं बैठ सकता। केवल न्यायालय ही इसे देख सकती है और याचिकाकर्ता निश्चित ही इसे नहीं देख सकते।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुजेफ़ा अहमदी ने कहा कि अगर सरकारें याचिकाकर्ताओं को आदेश नहीं दिखाना चाहती हैं, तो उन्हें कम से कम अदालत में दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा, वे कश्मीर में की गई हर नज़रबंदी को सही ठहराना चाह रहे हैं। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से स्पष्ट रूप से पूछा कि वे आदेश कहां हैं जिनके आधार पर लोगों को कश्मीर में नजरबंद किया गया था। अदालत ने दोनों सरकारों को सभी निरोध आदेशों की प्रतियों के साथ अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से घाटी में मोबाइल सेवा प्रदाताओं के खिलाफ शिकायतों पर गौर करने के लिए भी कहा है। कुछ याचिकाकर्ताओं ने अदालत से कहा है कि भले ही कश्मीर घाटी में पिछले दो महीनों से मोबाइल संचार सेवाए निलंबित थी, लेकिन मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियां लोगों से इस अवधि के लिए बिलों का भुगतान करने के लिए कह रही हैं।

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