अक्सर छोटे-मोटी समस्याओं में अच्छा होने के लिए हम घर पर ही काढ़ा बनाकर पी लेते हैं. आयुर्वेद में काढ़े को क्वाथ कहते हैं. इसे बनाने और इस्तेमाल में लेने के भी तय नियम हैं. विभिन्न रोगों में इन्हें लेने का समय भी भिन्न-भिन्न है. जानते हैं इनके बारे में-
पर्याप्त हो पानी की मात्रा:
काढ़ा बनाने के लिए द्रव्य (औषधि आदि) यदि सूखा है तो आठ गुना पानी की आवश्यकता होती है. वहीं द्रव्य यदि गीला या ताजा है तो बराबर मात्रा में पानी लेना चाहिए.
उपयोगी काढ़े : हाथ-पैरों में दर्द और अकडऩ के लिए रास्नादि क्वाथ, सर्दी, जुकाम में गोजिव्हादि क्वाथ, गले की तकलीफ और खांसी में मुलैठी क्वाथ, सूजन और दर्द के लिए दर्दनिवारक दशमूल क्वाथ लें. ऐसे बनाएं : काढ़े का द्रव्य नियम के अनुसार पानी में उबालें. आधा शेष रहने पर छानकर गुनगुना पीएं.
ध्यान रखें : काढ़ा कभी भी पी सकते हैं. प्रातः काल खाली पेट पीने से काढ़े के तत्व अंदरूनी अंगों से अवशोषित होकर फायदा करते हैं. दिन में भोजन के 2-3 घंटे बाद पीएं. फिर कुछ देर तक कुछ न खाएं-पीएं. दर्दनिवारक, खांसी-कफ का काढ़ा लेते हैं तो कफ कारक चीजें न खाएं.