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खतरनाक स्थिति में हैं महाराष्ट्र के 225 गांव, मंडरा रहा भूस्खलन का खतरा

पूरे महाराष्ट्र में कम से कम 225 ऐसे गांव हैं जो खतरनाक स्थिति में हैं। यहां भूस्खलन का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि अकेले पुणे जिले के 23 गांवों को जिला प्रशासन द्वारा संवेदनशील (खतरनाक) के रूप में पहचाना गया है।

इन 23 गांवों में से तीन भूस्खलन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं। इन गांवों के स्थायी पुनर्वास का प्रस्ताव राज्य जल आयुक्त कार्यालय द्वारा तीन साल पहले राज्य सरकार को भेजा गया है। हालांकि, यह प्रस्ताव मंत्रालय के पास पड़ा हुआ है और अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।

भूस्खलन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील गावों में भोर तहसील में धनवली, कोंधारी और मुलशी तहसील में घुटके शामिल है। 2020 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने पूरे महाराष्ट्र में 225 ऐसे गांवों की पहचान की जो भूस्खलन के प्रति बेहद संवेदनशील हैं। हालांकि विभिन्न जिलों में स्थानीय प्रशासन स्थानीय लोगों को शिफ्ट करने में सक्षम नहीं है।

पुणे के जिला कलेक्टर राजेश देशमुख ने कहा, “पुणे जिले में 23 भूस्खलन संभावित गांव हैं, जिनमें से तीन गांवों को स्थायी रूप से पुनर्वासित करने की जरूरत है।” जीएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के तीन गांवों के नागरिकों के स्थायी पुनर्वास का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। प्रस्ताव को सुधार कर पुनः प्रस्तुत कर दिया गया है। इस पर मंत्रालय स्तर से निर्णय लेने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

भोर तहसील के दोनों गांवों की भौगोलिक स्थिति के अनुसार, वे पहाड़ी ढलान पर स्थित हैं और यहां की भूमि की सतह चट्टानी नहीं बल्कि लाल मिट्टी वाली है, जो भूस्खलन के प्रति संवेदनशील मानी जाती है। इसके अलावा, जब मानसून के दौरान भारी बारिश होती है, तो मुलशी के घुटके गांव की स्थिति भी ऐसी ही होती है।

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के भूस्खलन प्रभावित इरशालवाड़ी गांव में खोज और बचाव दलों ने शुक्रवार को मलबे से छह और शव बरामद किए हैं। इसके बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है जबकि 86 लोग लापता हैं। इरशालवाड़ी भूस्खलन की घटना के बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उन ग्रामीणों ने विरोध किया है जिनकी आजीविका इन क्षेत्रों पर निर्भर है। उन्होंने कहा, “साथ ही, भूस्खलन और धंसाव की आशंका वाले चिन्हित स्थान बार-बार बदलते रहते हैं, जिससे प्रशासन के लिए इन स्थानों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है।”

देशमुख ने कहा, “जीएसआई ने संबंधित छोटे गांवों को उच्च जोखिम के रूप में रिपोर्ट किया है। इसके मुताबिक इन गांवों के ग्रामीणों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट किया जाना है। इस संबंध में मंजूरी का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। हालांकि अभी इसे मंजूरी नहीं मिली है। राज्य सरकार की मंजूरी मिलने के बाद, शिफ्ट करने के लिए एक नई जगह की जांच जीएसआई द्वारा की जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह जगह रहने योग्य है, सुरक्षित है या नहीं और उसके बाद, शिफ्ट करने की प्रक्रिया की जा सकती है।”

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