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निजीकरण के लिए 4 बैंक शॉर्टलिस्ट, छोटे बैंकों से होगा आगाज!

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान ऐलान किया था कि IDBI बैंक के अलावा अगले वित्त वर्ष में 2 और सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जाएगा. हालांकि उन्होंने बैंकों का नाम नहीं बताया है. ऐसे में बैंक ग्राहकों के साथ-साथ निवेशकों के मन में भी सवाल उठ रहे हैं कि वे दो बैंक कौन से हैं, जो आने वाले दिनों में प्राइवेट बैंक हो जाएंगे.

दरअसल, अब खबर है कि केंद्र सरकार ने 4 सरकारी बैंकों को शॉर्टलिस्ट कर लिया है, कहा जा रहा है कि इनमें से दो बैंकों का निजीकरण अगले वित्त-वर्ष में किया जाएगा. बाकी दो बैंकों का आगे निजीकरण किया जाएगा. जिन बैंकों को निजीकरण के लिए चयनित किया गया है, उनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India- BOI), इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) शामिल हैं.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक शॉर्टलिस्टेड इन 4 बैंकों में से 2 बैंकों का निजीकरण अगले वित्त वर्ष हो सकता है. हालांकि, सरकार ने अभी प्राइवेट होने वाले बैंकों का नाम औपचारिक तौर पर सार्वजनिक नहीं किया है. सूत्रों के मुताबिक बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया 5 से 6 महीनों में शुरू होने की उम्मीद है. सरकार ने इस बजट में दो बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया था, जबकि दो बैंकों का जिक्र पिछले बजट में भी किया गया था.

रॉयटर्स की रिपोर्ट में 3 सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि केंद्र सरकार शुरुआत में छोटे बैंकों के निजीकरण पर मुहर लगा सकती है. इससे ये पता चल जाएगा कि निजीकरण के दौरान किस तरह की समस्याएं आती हैं. छोटे बैंकों के निजीकरण में जोखिम थोड़ा कम होगा.

यही नहीं, बैंक यूनियन निजीकरण का विरोध कर रहे हैं. क्योंकि निजीकरण से बैंक कर्मचारियों की नौकरियां जाने का खतरा है. सूत्रों के मुताबिक छोटे बैंकों की सफलता से निजीकरण के बाद आने वाले वर्षों में बड़े बैंकों को भी बेचने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. इसके अलावा बैंकों का निजीकरण राजनीतिक रूप से सरकार के लिए जोखिम भरा काम है.

गौरतलब है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में इसका ऐलान किया है. उन्होंने बताया कि IDBI बैंक के अलावा अगले वित्त वर्ष में 2 और सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जाएगा.

दरअसल, इस सरकार ने बहुत पहले ही साफ कर दिया था कि सरकारी बैंक की संख्या घटाई जाएगी. इसी कड़ी में पिछले साल 10 बैंकों का विलय कर 4 बैंक बनाए गए. अब सरकार कुछ और सरकारी बैंकों से छुटकारा पाना चाहती है. जानकारों की मानें तो सरकार उन बैंकों से छुटकारा पाना चाहती हैं, जो लगातार घाटे में चल रहे हैं. सरकार उस स्थिति में नहीं है कि नुकसान में रहे बैंकों को लगातार मदद दी जाए.

अभी देश में 12 पब्लिक सेक्टर बैंक हैं. कुछ बैंकों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर बैंकों की हालत खराब है. जिसके लिए हर साल बजट में बड़े ऐलान किए जाते हैं, इस बजट में भी सरकार ने 20 हजार करोड़ री-कैपिटलाइजेशन की घोषणा की है.

मौजूदा वक्त में दिसंबर 2020 तक सरकार की कम से कम 10 बैंकों में 70 फीसदी से भी ज्यादा हिस्सेदारी है. जबकि आठ बैंक ऐसे हैं जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 80 फीसदी से भी ज्यादा है और तीन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 90 फीसदी से ज्यादा है, और वे बैंक इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र हैं.

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