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5 हजार करोड की हेराइन का भंडाफोड, पाक के रास्ते लाते थे दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली में नशे का कारोबार का भंडाफोड करते हुए स्पेशल सेल ने हेरोइन की अवैध फैक्ट्री का खुलाया किया, जिसके लिंक तालिबान तक हैं। स्पेशल सेल ने इस फैक्ट्री से करीब 600 करोड़ की हेरोइन जब्त की गई। यह दिल्ली से जब्त की गई अबतक की सबसे बड़ी खेप है। स्पेशल सेल का कहना है कि यह रैकिट अबतक भारत में 5 हजार करोड़ रुपए तक की हेरोइन ला चुका है। गैंग बोरियों के जरिए हेरोइन को अफगान से दिल्ली लाते थे।

जानकारी के मुताबिक, जाकिर नगर की ड्रग्स फैक्ट्री से कुल तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई। इसमें दो अफगानिस्तानी हैं। लाजपत नगर इलाके से दो और मुलजिम पकड़े गए। उनसे स्पेशल सेल ने 600 करोड़ रुपए की कीमत की 150 किलो हेरोइन जब्त की। उनके पास से चार लग्जरी कार, दो पिस्टल और 20 जिंदा कारतूस भी बरामद किए गए।

गिरफ्तार मुलजिमों में अफगानिस्तान के रहने वाले शिनवारी रहमत गुल (30) और अख्तर मोहम्मद शिनवारी (31) हैं। वे भारत आते-जाते रहते हैं। अफगानिस्तान में लगी हेरोइन इंडस्ट्री में काम करने का उन्हें लंबा अनुभव है। उनके अलावा वकील अहमद (36), रईस खान (43) और धीरज उर्फ दीपक (21) को भी गिरफ्तार किया गया है। वकील जामिया नगर बटला हाउस का, धीरज बल्लभगढ़ (हरियाणा) और रईस महारानी बाग का रहने वाला है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान से इंपोर्ट करके दिल्ली लाई जाने वाली जीरे की बोरी में हेरोइन की स्मगलिंग की जाती थी। जूट की बोरियों को अफगानिस्तान में लिक्विड हेरोइन में डुबो दिया जाता था। बोरियों के सूख जाने पर जीरे की बोरियां दिल्ली इंपोर्ट की जाती थीं। इसके बाद बोरियों को वे लोग दिल्ली में जाकिर नगर स्थित फैक्ट्री में ले जाकर कई तरह के केमिकल में भिगोते थे। इन गीली बोरियों को सुखाकर इनके रेसों में चिपटी हेरोइन को खास तकनीक से पाउडर रूप में बदला जाता था। इसके बाद बोरियों को जला दिया जाता था। जूट की एक बोरी से कम से कम एक किलो हेरोइन निकलती थी। एक खाली बोरी की कीमत करीब चार करोड़ रुपए हो जाती थी। बोरियों में हेरोइन की स्मगलिंग करने का यह तरीका एकदम नया है।

हेरोइन को अफगानिस्तान से पाकिस्तान के रास्ते होते हुए दिल्ली लाया जाता था। अफगानिस्तान के जलालाबाद से ड्रग्स को पहले कश्मीर भेजा जाता। वहां से ड्रग्स को बोरियों में चिपकाया जाता। उन बोरियों में मसाले भरने का काम भी जम्मू-कश्मीर में ही होता था। फिर वहां से कारों में भरकर इन्हें दिल्ली भेज दिया जाता। दिल्ली में बोरियां खाली की जातीं और स्मग्लर उन्हें अपने साथ ले जाते। फिर साउथ दिल्ली की इस फैक्ट्री में उन बोरियों से हेरोइन को अलग किया जाता था।

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