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रैलियों के बिना नेताओं की हालत ‘जल बिन मछली’ जैसी, क्या चुनाव आयोग प्रतिबंध हटाएगा?

कोरोना की महामारी के बारे में अनुमान लगाया जा रहा है कि तीसरी लहर अपने पीक पर पहुंच चुकी है और अब तो मामले घटने भी लगे हैं। ऐसे में माना ये जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर ज्यादा खतरनाक नहीं दिख रही है। इसलिए, अब संकेत भी ये मिल रहे हैं कि शायद, चुनाव आयोग चुनावी रैलियों से प्रतिबंध हटा सकता है। अभी तक चुनाव आयोग ने रैलियों के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए तीन सौ लोगों की सीमा तय कर रखी है।

 

रैलियों के बिना नेताओं की हालत ‘जल बिन मछली’ जैसी, तो क्या चुनाव आयोग प्रतिबंध हटा देगा?

चुनाव आयोग रैलियों से प्रतिबंध हटाएगा या नहीं यह कोई नहीं कह सकता, लेकिन, एक तरफ़ कोरोना के क़हर में अनुमानित कमी आ रही है। वहीं दूसरी तरफ़ भारतीय जनता पार्टी अपने दिग्गज नेताओं की रैलियों का कार्यक्रम बना रही है। ये सभी रैलियाँ 22 जनवरी के बाद आयोजित होनी हैं। इन सब तैयारियों के मद्देनज़र, आयोग अगर प्रतिबंध हटा ही दे, तो यह कोई अचम्भे की बात नहीं होगी। वैसे भी बिना रैलियों के सभी दलों के नेता ‘जल बिन मछली’ की तरह तड़प रहे हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर

यूपी पश्चिम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक बड़ी रैली की तैयारी में जुटी भाजपा

कोरोना की स्थिति में सुधार के चलते, रैलियों पर प्रतिबंद्ध खत्म की सुगबुगाहट के बीच, भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी जमीनी स्थिति मजबूत करना चाह रही है। इसके लिए जल्द ही वहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक बड़ी रैली कराने की तैयारी में पूरी पार्टी जुट गयी है। कोविड प्रोटोकाल 23 जनवरी को हटा तो भाजपा दिग्गजों के जमावड़े से नया चुनावी माहौल बनाएगी। कोविड प्रोटोकाल से पहले 02 जनवरी को पीएम नरेन्द्र मोदी की रैली सरधना में हुई थी, जिसमें सिर्फ मेरठ, मुजफ्फरनगर के ही चेहरे थे। 2017 विस चुनाव से पहले शताब्दीनगर में, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मेरठ में पश्चिम उप्र को साधने के लिए नरेन्द्र मोदी की बड़ी रैली की गई थी। भाजपा की दृष्टि से पश्चिम क्षेत्र में 14 जिलों की 114 विस सीटों को शामिल किया जाता है।

यूपी पश्चिम राजनीति की प्रयोगशाला, यहाँ भाजपा सुधारेगी अपना चुनावी समीकरण 

मोदी की पश्चिम यूपी में रैली होती है तो यहां की राजनीतिक हालात और बीजेपी का चुनावी समीकरण काफी सुधर सकता है। वैसे भी पश्चिमी यूपी को राजनीति की प्रयोगशाला कहा जाता है। 2014 में यहां भाजपा ने हिन्दुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाया था तो मुजफ्फरनगर दंगों को भी अखिलेश सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा बनाया था। दरअसल, भाजपा रैलियों के लिए इस लिए भी परेशान है क्योंकि उसके पास स्टार प्रचारकों की लम्बी चौड़ी टीम है।गौरतलब हो पश्चिमी यूपी में पहले दो चरणों में मतदान होना है। 10 फरवरी को मेरठ समेत पश्चिम की 58 सीटों पर चुनाव होगा। इन सभी 58 सीटों मे 09 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।

प्रथम चरण के मतदान में आयेंगी ये 58 सीटें

प्रथम चरण में कैराना, थानाभवन, शामली, बुढ़ाना, चरथावल, पुरकाजी(अ.जा.), मुजफ्फरनगर, खतौली, मीरापुर, सिवालखास, सरधना, हस्तिनापुर (अ.जा.), किठौर, मेरठ कैंटोनमेंट, मेरठ, मेरठ दक्षिण, छपरौली, बड़ौत, बागपत, लोनी, मुरादनगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, मोदीनगर, धौलाना, हापुड़ (अ.जा), गढ़मुक्तेश्वर, नोएडा, दादरी, जेवर, सिकंदराबाद, स्याना, अनूपशहर, डिबाई, शिकारपुर, खुर्जा(अ.जा), खैर (अ.जा), बरौली, अतरौली, छर्रा, कोल, अलीगढ़, इगलास(अ.जा), छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा, बलदेव (अ.जा), एत्मादपुर, आगरा कैंटोनमेंट (अ.जा), आगरा दक्षिण, आगरा उत्तर, आगरा ग्रामीण (अ.जा), फतेहपुर सीकरी, खैरागढ़, फतेहाबाद, बाह सीटों पर चुनाव होगा।

दूसरे चरण में होगा 9 जिलों की 56 सीटों पर मतदान

उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण का मतदान 14 फरवरी को होगा। दूसरे फेज में 9 जिलों की 56 सीटों पर मतदान होगा। दूसरे चरण में पश्चिमी यूपी की सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, बदायूं, बरेली, शाहजहांपुर में संपन्न होगा। इस दौरान 56 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। दूसरे चरण में बेहत, नाकुर, सहारनपुर नगर, सहारनपुर, देवबंद, रामपुर, मनीहारन (, गंगोह, नजीबाबाद, नगीना , बरहापुर, धामपुर, नेहतौर, बिजनौर, चांदपुर, नूरपुर, कांत, ठाकुरवाड़ा, मुरादाबाद ग्रामीण, मुरादाबाद नगर, कुंडार्की, बिल्लारी, चंदौसी, अस्मौली, संभल, सौर, चमरौआ, बिलासपुर, रामपुर, मिलक , धनौरा, नौगांव सदात, अमरोहा, हसनपुर, गुन्नौर, बिसौली, सहसवान, बिल्सी, बदायूं, शेखुपुर, डाटागंज, बाहेरी, मीरगंज, भोजीपुरा, नवाबगंज, फरीदपुर , बिठारी चौनपुर, बरेली, बरेली कैंट, अनोला, कटरा, जलालाबाद, तिलहर, पोवायन , शाहजहांपुर, ददरौल सीटों पर मतदान किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश का चुनावी शंखनाद होगा पश्चिम से, बढ़ी हुई हैं बीजेपी की मुश्किलें

उत्तर प्रदेश का चुनावी शंखनाद पश्चिम से होगा,जहां इस बार बीजेपी की मुश्किल इस लिए बढ़ी हुई हैं। किसान आंदोलन के साथ ही किसानों के ज्यादातर भावनात्मक मुद्दे यहीं से तय होते हैं। मुजफ्फरनगर दंगों और कैराना पलायन पर भाजपा लगातार अखिलेश सरकार पर हमलावर है। पश्चिम में औद्योगिक गतिविधियां तेज करने के साथ ही भाजपा सरकार ने सड़कों का नेटवर्क खड़ा करने का प्रयास किया है। प्रदेश का पहला खेल विवि मेरठ में बन रहा है। पिछले दिनों सीएम योगी ने यहां ओलंपिक खिलाडिय़ों को सम्मानित किया था। सहारनपुर में मां शाकुम्भरी देवी विवि बनाने के राजनीतिक मायने भी हैं। देवबंद में एटीएस कमांडो ट्रेनिंग सेंटर एवं कैराना के पास पीएसी ट्रेनिंग कैंप बनाया जा रहा है।

       संजय सक्सेना

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