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69000 शिक्षक भर्ती: यूपी सरकार के कट ऑफ बढ़ाने के फैसले पर हाईकोर्ट ने लगाई मुहर, कहा- तीन महीने में पूरी करें प्रक्रिया

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में सरकार द्वारा तय किए गए मानकों पर मुहर लगाई है। न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि तीन माह के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाए। न्यायालय ने कटऑफ अंक बढ़ाने के सरकार के फैसले को सही बताया है।

न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने सरकार द्वारा तय किए गए मानकों पर मुहर लगाई। न्यायालय ने सरकार द्वारा तय किये गये मानको 90/97 पर मुहर लगाते हुए तीन माह के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया। इस आदेश के तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी 65 फीसद और अन्य आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी 60 फीसद अंक पाकर उत्तीर्ण होंगे। आपको बता दें कि भर्ती प्रक्रिया करीब डेढ़ साल से अटकी थी।

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघुवेन्द सिंह तथा अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रण विजय सिंह ने याचिका दायर की थी। सरकार ने अपील को स्वीकार कर लिया था। राज्य सरकार 60 व 65 प्रतिशत कट ऑफ को उच्च न्यायालय ने सही ठहराया है।

गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउ खंडपीट ने लंबी सुनवाई के बाद तीन मार्च 2020 को फैसला सुरक्षित कर लिया था। यह अहम भर्ती कटऑफ अंक विवाद के कारण करीब डेढ़ वर्ष से अधर में फंसी थी। उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए पांच दिसंबर 2018 को एक शासनादेश जारी कर अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे।

छह से 20 दिसंबर 2018 तक ऑनलाइन आवेदन लिए गए। इस परीक्षा के लिए 4,31,466 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था और लिखित परीक्षा छह जनवरी 2019 को राज्य के 800 परीक्षा केंद्रों पर कराई गई थी। परीक्षा में 4,10,440 परीक्षार्थी शामिल हुए थे, जबकि 21,026 परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी थी।

भर्ती विज्ञापन में न्यूनतम कटऑफ अंक की बात तो की गई थी, लेकिन कटऑफ कितने प्रतिशत होगा इसका जिक्र शासनादेश में नहीं था। लिखित परीक्षा के अगले दिन सात दिसंबर 2019 को न्यूनतम कटऑफ की घोषणा की गई।

इसके तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 150 में 97 और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को 150 में 90 अंक लाने होंगे। यानी सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 65 फीसद और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को 60 फीसद अंक पर पास किया जाएगा। इसी कटऑफ को लेकर परीक्षार्थियों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दायर की थी।

उच्च न्यायालय की एकल पीठ में इस तरह कई याचिकाएं दायर हुईं। एकल पीठ के फैसले को पुनर्याचिका के लिए राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघुवेन्द सिंह तथा अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रण विजय सिंह ने याचिका दायर की थी। सरकार ने अपील को स्वीकार कर लिया था।

न्यायाधीश पंकज कुाममर जायसवाल और न्यायाधीश करूणेस सिंह की खंडपीठ ने बुधवार को राज्य सरकार 60 व 65 प्रतिशत कट ऑफ को उच्च न्यायालय ने सही ठहराया है। यह फैसला सरकार के पक्ष में रहा।

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