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शराबबंदी मामलों के लिए 74 विशेष न्यायालय होंगे गठित

शराबबंदी मामलों के त्वरित निष्पादन और इस मामले में दोषियों को शीघ्र सजा दिलाने के लिए राज्य में 74 विशेष न्यायालय का गठन होगा। इन न्यायालयों में सिर्फ शराबबंदी से जुड़े मामलों की सुनवाई होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गया के पहाड़पुर में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। इन न्ययालयों के लिए 74 अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पदों के सृजन की भी स्वीकृति कैबिनेट ने दी।

बैठक के बाद सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने बताया कि शरबबंदी से जुड़े दो लाख 16 हजार केस अगस्त 2019 तक लंबित थे। बड़ी संख्या में मामले आने के कारण मामलों के निष्पादन में देरी हो रही है। दोषियों की सजा दिलाने में भी विलंब होता है। इन्हीं कारणों से राज्य सरकार ने 74 पूर्णकालिक न्यायालय के गठन का निर्णय हुआ है। इससे शराबबंदी राज्य में और सख्ती से लागू हो सकेगी। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के द्वारा उक्त सृजित पदों पर नियुक्ति की जाएगी। इस योजना में 170 किलोमीटर पाईप बिछाया जाएगा।

गया, बोधगया और राजगीर में गंगा पानी की आपूर्ति जून 2021 से-
गया, बोधगया और राजगीर शहर में जून 2021 से गंगा के पानी को शुद्ध कर पेयजल के रूप में आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी। 2836 करोड़ की इस योजना की स्वीकृति कैबिनेट ने दी। इस योजना के तहत पहले चरण मे गया, बोधगया और राजगीर में पेयजल की आपूर्ती होगी। दूसरे चरण में नवादा शरह में मार्च 2022 से पेयजल की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। गंगा के पानी को लिफ्ट कर बारिश के मौसम में पाईप के माध्यम से इन शहरों में लाया जाएगा। शहरों में बड़ा पौंड बनेगा, जहां पानी को रखा जाएगा। यहीं से पानी को शुद्ध कर इन शहरों में सालों भर आपूर्ती की जाएगी। जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत इस कार्य को जल संसाधन विभाग द्वारा कराया जा रहा है। गौरतलब हो कि इन शहरों में पेयजल की कमी अक्सर गर्मी के मौसम में हो जाती है।

गया शहर के चांदचौरा चौक के निकट भू-जल स्तर में पिछले एक साल में .52 मीटर की कमी हुई है। गया शहर में पानी के टैंकर से जलापूर्ति की जाती रही है। इसी प्रकार पिछले एक दशक में राजगीर में भू-जल स्तर में 5.06 मीटर की कमी आई है। वहीं नवादा में नौ सालों में भू-जल स्तर 1.99 मीटर की कमी आई है।

जिलों में ही मिलेगा वाहन प्रदूषण जांच केंद्र-
अधिक संख्या में वाहन प्रदूषण जांच केंद्र खुले। इस मकसद से राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि जिला परिवहन पदाधिकारी को रही अब प्रदूषण जांच केंद्र के लाइसेंस निर्गत करने का अधिकार होगा। कैबिनेट ने इस पर अपनी सहमति दे दी। अब-तक यह अधिकार परिवहन आयुक्त के पास था। बैठक में निर्णय लिया गया है कि राज्य के सभी प्रखंडों में जांच केंद्र की स्थापनी की जाएगी। अबी 205 प्रखंडों में यह जांच केंद्र स्थापित है, जबकि 329 प्रखडों में इसकी सुविधा नहीं है। राज्य भर में कुल 504 -जांच केंद्र हैं। अब सभी प्रखंडों में इसकी सुविधा मिल सकेगी।

कैबिनेट ने यह भी निर्णय लिया है कि राज्य में जहां पर अधिक सड़क दुर्घटना होती है, वहां तकनीकी और वैज्ञानिक तरीके से जांच के लिए एक समिति का गठन होगा। यह समिति अध्ययन करेगी कि कैसे सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके। ताकि सुप्रीम कोर्ट की समिति द्वारा् किये गए अनुशंसा का क्रियान्वयन किया जा सके। सड़क दुर्घटना में कम-से-कम 50 प्रतिशत कमी आये, इसके लिए तत्काल कदम उठाए जाएंगे।

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