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85 असिस्टेंट प्रोफेसरों ने मेडिकल कॉलेजों में नहीं लिया कार्यभार, खाली पदों के भरने के प्रयास को झटका

13 राजकीय मेडिकल कॉलेजों में संकाय सदस्यों (चिकित्सा शिक्षकों) के खाली पदों को भरने के प्रयास को जबरदस्त झटका लगा है। लोक सेवा आयोग से डेढ़ साल में चयनित करीब 200 सहायक प्रोफेसरों में से 85 ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। ऐसे में इन सभी पदों को बृहस्पतिवार को रिक्त घोषित कर दिया गया है। अब दोबारा भर्ती की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में संकाय सदस्यों की 40 फीसदी से ज्यादा पद खाली हैं। इनको भरने के लिए लोक सेवा आयोग से 28 फरवरी, 2022 से 10 मार्च, 2023 तक अलग-अलग चरणों में करीब 200 सहायक प्रोफेसर चयनित किए गए। इन्हें कॉलेज आवंटित कर दिए गए। पर, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इनके बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि राजकीय मेडिकल कॉलेज अंबेडकरनगर में सर्वाधिक 15, आजमगढ़ में 13, बदायूं व कन्नौज में 12-12, सहारनपुर 10, जालौन आठ, बांदा व गोरखपुर 4-4, कानपुर तीन, झांसी दो और मेरठ में एक सहायक प्रोफेसर ने कार्यभार ही ग्रहण नहीं किया। विषयवार स्थिति देखें तो इसमें सर्वाधिक 19 एनेस्थेटिस्ट के अलावा बाल रोग, महिला रोग, पैथोलॉजी, सर्जरी, साइकियाट्रिक, मेडिसिन सहित अन्य विधा के चिकित्सक शामिल हैं।

नियुक्ति प्रक्रिया में हुआ बदलाव, पर कोई फायदा नहीं
पहले आयोग की ओर से चयनित संकाय सदस्यों को शासन की ओर से खाली सीटों के आधार पर कॉलेजों में भेज दिया जाता था। दो साल पहले आयोग से आने वालों की काउंसिलिंग प्रक्रिया अपनाई गई। उन्हें संबंधित विधा में खाली सीटों के बारे में जानकारी देते हुए कॉलेज चुनने का मौका दिया गया। इसके बाद भी सहायक प्रोफेसरों ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया।

लंबी चयन प्रक्रिया बड़ी वजह
विभागीय जानकारों की मानें तो मेडिकल कॉलेजों में संकाय सदस्यों की चयन प्रक्रिया लंबी है। आवेदन से लेकर चयन और कॉलेज आवंटित होने तक में करीब एक से डेढ़ साल लग जाता है। इस बीच विशेषज्ञ डॉक्टर निजी क्षेत्र में काम करने लगते हैं। निजी क्षेत्र में आने के बाद वे वापस नहीं लौटते हैं। इसी में से कुछ अपने मनपसंद जिले के स्वशासी कॉलेजों में भी कार्यभार ग्रहण कर लेते हैं।

कारणों की समीक्षा होगी
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राजकीय, स्वशासी मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सा संस्थानों में खाली पदों को भरने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। सभी राजकीय मेडिकल कॉलेज पुराने हैं। वहां पर्याप्त सुविधाएं हैं। इसके बाद भी सहायक प्रोफेसरों ने कार्यभार ग्रहण क्यों नहीं किया है, इसकी समीक्षा की जाएगी। वजह तलाशते हुए संबंधित कारणों को दूर कराया जाएगा।

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