फिल्म निर्देशक प्रकाश झा का कहना है कि भारतीय समाज में पुरुषों को घूरने की आजादी है और सिनेमा इसमें बदलाव नहीं ला सकता। उन्हें लगता है कि सिनेमा महत्वपूर्ण मुद्दों को जीवित रखने में मददगार हो सकता है। झा ने अपनी पिछली फिल्म ‘‘लिप्सटिक अंडर माई बुर्का’’ के बारे में बात करते हुये कहा कि उन्हें ‘महिलाओं के घूरने’ वाली यह पटकथा अद्वितीय लगी, लेकिन इसे सेंसर बोर्ड से रिलीज कराने में उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ी। झा ने वर्ल्ड कांग्रेस आफ मेंटल हेल्थ कार्यक्रम में कहा, ‘‘हमारे समाज में पुरुषों को घूरने की पूरी आजादी है। एक पुरुष के नजरिये से सबकुछ की अनुमति है।
मूल्य, प्रणाली, …एक पुरुष फिल्मों एवं कहानियों में महिलाओं का पीछा कर सकता है, लेकिन यहां एक महिला पुरूष का पीछा करना चाहती है। यहां एक महिला ही महिला के घूरने के मुद्दे पर बात करती है और यही इस कहानी को बिल्कुल अलग बनाती है।’’ सेंसर बोर्ड के साथ अपने विवाद को याद करते हुये झा ने कहा कि वह इस फिल्म को इंटरनेट पर बिल्कुल मुफ्त में रिलीज करने के लिये तैयार थे, लेकिन खुशकिस्मती से फिल्म सर्टिफिकेट अपीलीय ट्रिब्यूनल ने इसे मंजूरी दे दी।
Tags Film Director Prakash Jha Indian Society New delhi Sensor Board
Check Also
अभिनेता और आध्यात्मिक योग गुरु बिजय आनंद का सच्चा प्यार ढूंढने पर वायरल टेक
प्रसिद्ध अभिनेता और आध्यात्मिक योग गुरु बिजय आनंद (Bijay Anand) ने एक बार फिर प्यार ...