मां भगवान का बनाया गया सबसे नायाब तोहफा है. हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है. इस बार 10 मई को मदर्स डे हैं. भारत समेत दुनिया के कई देशों में इसे सेलिब्रेट किया जाता है वैसे तो मां को प्यार करने और तोहफे देने के लिए किसी खास दिन की जरुरत नहीं, लेकिन फिर भी मदर्स डे के दिन मां को और अधिक सम्मान दिया जाता है.
इस दिन उन्हें तोहफे, मीठा और ढेर सारा प्यार किया जाता है. मां को प्यार और सम्मान देने के लिए कई देशों में अलग-अलग तारीख पर खास मदर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है. आइये जानते हैं आखिर मदर्स डे सेलिब्रेट करने की शुरुआत कब और कैसे हुई.
ऐसा कहा जाता है कि मां को सम्मान देने वाले इस विशेष दिन की शुरुआत पहली बार अमेरिका से हुई थी. अमेरिकन एक्टिविस्ट एना जार्विस अपनी मां से बहुत प्रेम करती थीं. उन्होंने न कभी शादी की और न कोई संतान पैदा की था. उनका आधा जीवन अपनी मां के साथ ही गुजरा. बाद में जब मां की मौत हो गई तो उनकी याद में मदर्स डे मनाया गया है. बाद में अमेरिका से निकलकर ये परम्परा दुनिया के बाकी देशों में फ़ैल गई. आज सभी देश से बढ़ चढ़कर मनाते हैं.
इस बार मदर्स डे 10 मई को है. अमेरिकी प्रेसिडेंट वुड्रो विल्सन ने एक कानून पास किया था जिसमें उल्लेख किया गया था कि मई महीने के हर दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाएगा, जिसके बाद मदर्स डे अमेरिका, भारत और कई देशों में मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाने लगा.
मदर्स डे क्यों मनाया जाता है?
मदर्स डे यानी माओं का दिन. जानते हैं इसे मनाने के पीछे का इतिहास क्या है? ये एक दिन माँ के नाम करने की प्रथा कब से चली? अमेरिका में एक एना एम जार्विस नाम की महिला थीं. उनका न तो विवाह हुआ था और ना ही कोई बच्चा था.
जार्विस अपनी माँ से बेहद प्रभावित थीं. अपनी माँ के निधन के बाद उन्होंने मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में मनाने के लिए लोगो से समर्थन हासिल किया ताकि लोग अपनी माँ के साथ अपना समय बिताएं, उनकी ओर भी ध्यान दें और प्रेम करें. जार्विस के प्रयास रंग लाए और 8 मई 1914 को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे घोषित किया.