वाराणसी। कुख्यात अपराधी व माफिया मुन्ना बजरंगी के करीबी ठेकेदार मोहम्मद तारिक की हत्या ने पुलिसिया महकमे की नींद उड़ा दी है। वजह, पूर्वांचल में एक बार फिर से गैंगवार अपना पांव ना पसार ले। सूबे में बदलाव के बाद लगातार मिल रही चुनौती के चलते बजरंगी के पलटवार की पूरी संभावना है। इसके साथ उससे अलग होकर नए सिरे से संगठित होने वाले गिरोह की सरगर्मी भी बढ़ने लगी है। सरकारी काम कराने वाले ठेकेदारों से लेकर व्यापारियों ने दबी जुबान से कबूल किया कि आने वाले दिन चुनौतीपूर्ण होंगे। उधर तारिक की हत्या के मामले में नामजद किये गये कथित शूटर राजा को लेकर दूसरा पेंच फंस गया है। लखनऊ पुलिस को जानकारी मिली है कि वारदात से पहले राजा वाराणसी में था। शुक्रवार की दोपहर मणिकर्णिका घाट पर दादी की चिता का दाग देने के बाद से वह लगातार घर पर मौजूद है। पुलिस इस पहलू की बारीकी से जांच कर रही है। यहां यह कहना लाज़मी है क्या बनारस की पुलिस का सूचना तंत्र अंधकार में बिना टॉर्च की रोशनी के घूमने जैसा हो गया है?
बदले की गुनगुनाहट
आज पुलिस की चिंता की वजह यह भी है कि इससे पहले भी बजरंगी गिरोह ने अपने विरोधियों को दुस्साहसिक ढंग से मौत देकर अपने विरोधियों को मौत के घाट उतारा है। पिछले दिनों फैलाये दहशत से आज भी पूर्वांचल अछूता नहीं है। जिसमें चाहे छात्रनेता अनिल राय, उनके भाई सुनील राय के अलावा भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या समेत कई सनसनीखेज वारदातों को सिर्फ पुरानी रंजिश का बदला लेने के लिए अंजाम दिया गया था। बजरंगी गिरोह का बदला लेने का पुराना रिकार्ड रहा है लेकिन साले पुष्पजीत उर्फ “पीजे” की हत्या के बाद ऐसा नहीं हुआ। तारिक की हत्या के बाद भले सफाई में कुछ भी कहा जाये, लेकिन वास्तविकता यह है कि इससे गिरोह का वजूद दांव पर लगा है। जो कहीं ना कहीं बदले की गुनगुनाहट को हवा दे रहा है।
अपराधिक इतिहास
सनसनीखेज वारदात के बाद जिस तरह इसमें नामजदगी हुई उसे लेकर पुलिस भी पसोपेश में हैं। दो दशक पहले रिटायर्ड हो चुके सीओ जीएन सिंह और उनके पुत्र प्रदीप सिंह को साजिशकर्ता दर्शाया गया, लेकिन शूटर के रूप में राजा का नाम लिखवाया गया। उधर लखनऊ पुलिस ने राजा की तलाश शुरू की तो पता चला कि दादी मान कुमारी सिंह की गुरुवार की रात मौत हो गयी थी। शुक्रवार की सुबह पहुंचने के बाद राजा ने चिता को अग्नि दी थी। इसके बाद से उसके घर पर लगातार मौजूदगी का दावा किया गया। पुलिस इससे जुड़े साक्ष्य संकलित कर रही है।
क्या पुलिस होगी कामयाब?
अब आने वाला समय बतायेगा कि किस हद तक पुलिस की दहाड़ इन अपराधियों के कानों तक गूंजती है और पूर्वांचल अपराध मुक्त होता है या नहीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, यदि यूपी में रहना है तो अपराध भूलना होगा नहीं तो अपराधी यूपी छोड़ दें। इसके बाद क्या वाकई अपराधी अपराध करना छोड़ देंगे या यूपी छोड़ देंगे?
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