लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि गांव-देहात और छोटे शहरों-कस्बों से बड़े-बड़े सपने लेकर शहरों में पढ़ाई और नौकरी की तलाश में आने वाले छात्रों, नौजवानों को समय से मदद की सख्त जरूरत है। वैश्विक महामारी के चलते खराब आर्थिक हालातों के मारे ‘भविष्य‘ के पास वर्तमान में कमरे का किराया, खाने-पीने और फीस देने का भी इंतजाम नहीं है।
विडम्बना है कि लाॅकडाउन की स्थिति में शैक्षणिक गतिविधियां यद्यपि बंद रही है तथापि तमाम स्कूल-काॅलेजों के प्रबन्धक अभिभावकों से फीस तथा अन्य खर्चे वसूलने के लिए लगाातार दबाव बनाए हुए है। शिक्षा संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों तथा दूसरे कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री जी और उनकी टीम इलेवन इन मामलों में मौन धारण किए है। केवल प्रेस नोट जारी कर ही सरकार अपने कर्तव्य की इतिश्री मान रही है।
समाजवादी पार्टी की सरकार में भविष्य की पीढ़ियों को सशक्त करने के लिए उन तक लैपटाॅप पहुंचाए थे। आज भी ये लैपटाॅप चल रहे है जबकि भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में वादा करके भी मेधावी छात्र-छात्राओं को लैपटाॅप से वंचित रखा हैं। भाजपा को अपनी सत्ता के प्रदर्शन का खासा शौक है इसलिए भाजपा ने कोरोना बीमारी पर जीत हासिल करने की जगह चुनाव की पवित्रता नष्ट करने के लिए जंगल के पेड़ों तक पर एलईडी लगवा दी। बिहार-बंगाल में भाजपा ने अपनी वर्चुअल रैली में ढाई सौ करोड़ रूपए से ज्यादा रकम क्यों अपव्यय किया? जब पूरे देश में महामारी का आतंक है और संक्रमण के शिकार तमाम लोग अपनी जान गंवा चुके हैं तब भी भाजपा हर वक्त चुनाव की चिंता में रहती है। उसकी पूरी राजनीति इन दिनों में भी चुनावी स्वार्थ परक रणनीति बनाने तक सीमित हैं। यही है दिशा और सोच का अंतर।
नौजवानों की जिन्दगी से खिलवाड़ का क्रूरतापूर्ण खेल भाजपा राज में धड़ल्ले से हो रहा है। शोर तो बहुत मचाया पर सचाई यह है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में इन्वेस्टमेंट समिट्स एवं डिफेंस एक्सपो का कागजी इवेंट न तो निवेशक ला सका, न ही रोजगार। यदि मुख्यमंत्री जी 69000 शिक्षक, बीडीओ, एलटी, एटीए एवं यूपीपीएससी की अन्य नौकरियां अटकाएं और लटकाएं नहीं और जाते-जाते नौकरियों का ‘दिव्यदान‘ दे जाएं तो युवा उनकी विदाई मुस्करा कर करेंगे।
जनता ने स्वयं देखा है कि समाजवादी मुश्किल चुनौतियों का सामना अपने साहस और दृढ़ इच्छाशक्ति से करने वालों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे हैं। जरूरतमंदों को राशन, भोजन तथा उनके घरों तक पहुंचाने में समाजवादी पार्टी के नेता-कार्यकर्ता दिनरात सक्रिय रहे हैं। श्रमिक विस्थापन के दौर में चाहे महिलाओं के आकस्मिक प्रसव या भूखे-प्यासे श्रमिक की मौत का मामला हो। समाजवादी उनकी मदद करने में कहीं पीछे नहीं रहे। यही नहीं, समाजवादी पार्टी की ओर से मृतक आश्रितों को एक-एक लाख रूपए की धनराशि भी दी जा रही है। इसके अतिरिक्त जरूरतमंदों की हर तरह से मदद पार्टी कार्यकर्ताओं ने की है समाजवादी पार्टी ने सरकार से मांग की है कि वह आपदाग्रस्त किसान परिवारों, श्रमिक परिवारों और कोरोना पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रूपए की मदद दे।