लखनऊ। केन्द्र सरकार द्वारा लाये गये किसान विरोधी अध्यादेश के खिलाफ आज राष्ट्रीय लोकदल द्वारा प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर महामहिम राष्ट्रपति महोदय को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से सौंपा गया। वहीं राजधानी लखनऊ में भी प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद के नेतृत्व में युवा रालोद के प्रदेश अध्यक्ष अम्बुज पटेल तथा जिलाध्यक्ष बेला प्रताप राजवंशी ने संयुक्त रूप से ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पदाधिकारियों ने किसान विरोधी अध्यादेश वापस लो वापस लो के नारे लगाये।
प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने बताया कि ज्ञापन में रालोद नेताओं ने कहा Farmers produce trade and e-commerce (promotion and facilitation ordinance) यानी कोई भी पैन कार्ड धारी किसानो की फसल खरीद सकेगा और अगर पैसो के लेन देन का विवाद होगा तो SDM सुनवाई करेगा और अपील आदि भी DM व संयुक्त सचिव स्तर अर्थात् सरकार नियंत्रण अधिकारियों द्वारा ही होगी एसिविल कोर्ट नहीं जा सकेंगे।
सरकार मंडियो को खत्म करना चाहतीं है। अगर मंडी के द्वारा किसानों की फसल की खरीद बिक्री नही हुई तो MSP रेट सरकार लागू नही कर पायेगी। जिससे किसानों को सरकार द्वारा न्यूनतम निर्धारित मूल्य भी नही मिल पायेगाए मंडी में होने वाला व्यापारियों का कम्पटीशन भी खत्म हो जाएगा। किसानों को इसका नुकसान उठाना पड़ेगाए पहले जमाने की तरह ही बड़े व्यापारी आने-पौने दामो में किसानों की फसल खरीद लेंगे। व्यापारी मनमर्जी तरीके से किसानों के साथ लूट करेगे।
ज्ञापन में रालोद नेताओं ने कहा कि Amendment in Essential commodity Act 1955 इस कानून के लागू होने से जब सरकार भंडारण की सीमा खत्म कर देंगी तब बड़े व्यापारी किसान की फसल आने पर किसानों की भंडारण क्षमता न होने के कारण सस्ते रेट में भंडारण कर लेंगे जिसकी वजह से वस्तुओ की कीमत बढ़ जाएगीए इससे काला बाजारी को बल मिलेगा और किसानों को MSP का रेट भी नही मिल पायेगा। साथ ही रोज़ काम आने वाली वस्तुओं के दाम पर कोई कन्ट्रोल न होने पर आम उपभोक्ता प्रभावित होंगे।
ज्ञापन में रालोद नेताओं ने कहा कि The Farmers (Empowerment & Protection) Agreement on Price Assurance & Farm service Ordinance इस कानून के बाद बड़े औद्योगिक घराने किसानों से उनकी उपज के संबंध में पूर्वतः करार कर उनको खाद बीज हेतु आर्थिक मदद के नाम पर और फसल आने पर गुणवत्ता की आड़ में छोटे किसानों का शोषण करेंगे अंततः किसान मजबूर होकर उनके यहां अपनी ही जमीन पर नौकर जैसे बन जायेंगे। इस अधिनियम में किसानों की और SAP की सुरक्षा की कोई गारंटी नही और न ही गन्ने की फसल के लिये FRP और SAP का उल्लेख है । कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की गाइडलाइन में फसलो के न्यूनतम मूल्य तक का जिक्र नही है।
रालोद नेताओं ने कहा कि तीनो अध्यादेश ही किसान विरोधी है। इनके लागू होने के बाद किसानों का व्यापारियों व बड़े घरानों द्वारा उत्पीडन होना शुरू हो जायेगे। किसानों की हालत जमीदारी और ईस्ट इंडिया कम्पनी के दौर से भी ज्यादा खराब हो जाएगी। उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि केंद्र सरकार को इन तीनो अधिनियमो को किसान हित मे न लाने का निर्देश देने की कृपा करें।
ज्ञापन देने वालों में प्रदेश महासचिव संतोष यादव एवं चन्द्रबली यादव, प्रदेश सचिव बी.एल. प्रेमी, प्रीति श्रीवास्तव तथा चन्द्रकांत अवस्थी, युवा रालोद के प्रदेश उपाध्यक्ष अश्वनी प्रताप सिंह, सुमित सिंह, मोनिका बिष्ठ, मनोज सिंह, रिजवाना, अनीता यादव, हरपाल यादव, चौ. बलराम सिंह आदि रालोद नेता उपस्थित थे।