समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार की कृषि विरोधी नीतियों के चलते देश का कृषक समुदाय आंदोलित और आक्रोशित है। अन्नदाता किसानों की मांगों पर सकारात्मक रूख अपनाने के बजाय उन पर आंसू गैस के गोले दागना, ठण्डे पानी की बौछार करना और लाठियां चलाना घोर निंदनीय है। यह सरकार द्वारा हिंसक मनोवृत्ति के साधनों का प्रयोग करना है जिसे अमानवीय ही कहा जा सकता है। अपने आचरण से भाजपा ने अपने संवेदनशून्य चाल-चरित्र और जनविरोधी साजिशी राजनीति की वास्तविक पहचान भी करा दी है।
लगभग 70 प्रतिशत खेती किसानी पर भारत निर्भर है। फिर भी अपने ही देश में भाजपा ने किसानों को बेगाना बना दिया है। किसानों की आय दुगनी करने, उनकी फसल के उत्पादन लागत का डेढ़ गुना देने जैसे वायदे भाजपा सरकार की जुमलेबाजी से शुमार हो गए हैं। अपने वादों से मुकरने वाली भाजपा सरकार से इसीलिए किसानों का विश्वास उठ गया है। उसने कृषि सुधार नहीं, कृषि उजाड़ कानून बनाया है। यह स्थिति खतरनाक है।
समाजवादी पार्टी ने प्रारम्भ से ही कृषि सम्बंधी तीनों कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए उनको तत्काल वापस लिए जाने की मांग की थी। सभी फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही होनी चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि किसान को घाटा न हो। किन्तु भाजपा का खेती-गांव-किसान से कभी रिश्ता ही नहीं रहा। अमीरों की पक्षधर भाजपा गरीब हलधर का दर्द क्या जाने?
किसानों के अधिकारों को कुचलने के लिए भाजपा सरकारी आतंक का सहारा ले रही है। लोग मर रहे हैं, सरकार चैन की बंशी बजा रही है। इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे। शांतिपूर्ण अहिंसात्मक प्रदर्शन करना लोकतंत्र में लोगों का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन भाजपा सरकार तो किसानों की बात सुनने के बजाय अपनी हठधर्मी पर जमी है। किसानों का यह उत्पीड़न भाजपा को भारी पड़ेगा।